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Waqf Amendment Bill 2025: संसद की मुहर के बाद अब राष्ट्रपति की बारी, जानें क्या-क्या होने वाला है बदलाव?

Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का मकसद वक्फ अधिनियम, 1995 में बदलाव करके वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आ रही दिक्कतों का हल निकालना है.

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Edited By: Ritu Sharma
Waqf Amendment Bill
Courtesy: Social Media

Waqf Amendment Bill 2025: संसद ने शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी. यह विधेयक वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन लाने के लिए लाया गया है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार किया जा सके और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जा सके. विधेयक को लेकर संसद में तीखी बहस हुई, जहां सरकार ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के लिए 'ऐतिहासिक सुधार' बताया, वहीं विपक्ष ने इसे 'अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ' करार दिया.

कैसे बनी सहमति, कितने वोट मिले?

राज्यसभा में 13 घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बाद विधेयक को 128 मतों के समर्थन और 95 मतों के विरोध के साथ पारित कर दिया गया. इससे पहले, लोकसभा में यह विधेयक 288 मतों के समर्थन और 232 मतों के विरोध के साथ पारित हुआ था. वहीं, सरकार ने विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों को शामिल किया, जिसने पिछले साल इस विधेयक का गहराई से अध्ययन किया था.

अब कानून बनने की प्रक्रिया क्या है?

अब जब यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है, इसे अंतिम रूप से भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.

  • राष्ट्रपति का अप्रूवल - अगर राष्ट्रपति इस विधेयक को मंजूरी दे देते हैं, तो यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा.
  • पुनर्विचार का विकल्प - यदि राष्ट्रपति विधेयक पर पुनर्विचार करना चाहते हैं, तो इसे संसद में वापस भेज सकते हैं.
  • संसद की अंतिम मुहर - यदि पुनर्विचार के बाद विधेयक फिर से संसद में पारित होता है, तो राष्ट्रपति को इसे अनिवार्य रूप से मंजूरी देनी होगी.

विधेयक में क्या है खास?

वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है. इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित सुधार किए गए हैं:

  • वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता बढ़ाने पर जोर
  • पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाना
  • वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में डिजिटल तकनीक का उपयोग

जेपीसी की ऐतिहासिक भागीदारी

बताते चले कि विधेयक पर चर्चा करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह भारत के संसदीय इतिहास में सबसे बड़ी समीक्षा प्रक्रियाओं में से एक थी. उन्होंने बताया कि, ''संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को ऑनलाइन और भौतिक माध्यमों से 97.27 लाख से अधिक याचिकाएं और ज्ञापन प्राप्त हुए. समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले प्रत्येक सुझाव पर गहन अध्ययन किया.''

इसके अलावा, 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वक्फ बोर्डों सहित 284 प्रतिनिधिमंडलों ने इस विधेयक पर अपने विचार रखे. इसके साथ ही कानूनी विशेषज्ञों, धर्मार्थ संगठनों, शिक्षाविदों और धार्मिक नेताओं ने भी अपनी राय प्रस्तुत की.