पिछले हफ्ते संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद आज मंगलवार (8 अप्रैल 2025) से वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 आधिकारिक रूप से लागू हो गया. यह कानून भारत भर में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और विनियमन में कई महत्वपूर्ण सुधार पेश करता है. वक्फ (संशोधन) विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में 12 घंटे से अधिक लंबी बहस के बाद पारित हो गया. जिसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी भी मिल गई.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार ने एक आधिकारिक राजपत्र अधिसूचना में कहा कि यह अधिनियम आधिकारिक तौर पर आज, 8 अप्रैल से लागू हो गया है. दरअसल, ये अधिनियम वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करता है, जो भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पर्यवेक्षण को नियंत्रित करता है. संशोधन वक्फ संपत्तियों से जुड़े रिकॉर्ड रखरखाव, विवाद समाधान और निरीक्षण तंत्र से संबंधित बदलाव पेश करता है.
वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को बनाना होगा डिजिटल
वक्फ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, सभी राज्य वक्फ बोर्डों को वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना होगा और उन्हें एक केंद्रीकृत पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इस अधिनियम में नामित वक्फ न्यायाधिकरणों के माध्यम से विवादों को हल करने के लिए एक समयबद्ध तंत्र की स्थापना का भी आदेश दिया गया है.
नियमित अंतराल पर वक्फ बोर्डों के ऑडिट का प्रावधान
इस अधिनियम में नियमित अंतराल पर वक्फ बोर्डों के ऑडिट का प्रावधान है. इसमें वित्तीय कुप्रबंधन या अधिनियम के तहत निर्धारित नियमों का पालन न करने की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है. स्थानीय वक्फ प्रबंधन समितियों की संरचना में भी बदलाव किए गए हैं. इसके अलावा संशोधित कानून में इन समितियों में दानकर्ता परिवारों और लाभार्थियों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान शामिल है.
जानिए नए वक्फ अधिनियम में कौन-कौन से हुए बदलाव?
इधर, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से यह अधिनियम पेश किया था. मोदी सरकार का मानना है कि अगर इन संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए तो इनसे काफी राजस्व प्राप्त हो सकता है. सरकार के अनुसार, भ्रष्टाचार, मुकदमेबाजी और कुप्रबंधन के कारण इन संपत्तियों की क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाया है.
ऐसे में सरकार का कहना है कि अतिरिक्त धनराशि का इस्तेमाल समुदाय, विशेषकर महिलाओं के लाभ के लिए किया जा सकता है. जैसे वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना. साथ ही इन बोर्डों में महिलाओंस शिया, पश्मंदा और बोहरा समुदायों के सदस्यों के लिए आरक्षण देना. इसके अलावा वक्फ बोर्ड के खातों के रजिस्ट्रेशन और लेखापरीक्षा के लिए नियम बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति को शामिल करना है.