Waqf Act: केंद्र सरकार ने शुक्रवार (25 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया, जिसमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की गई. केंद्र सरकार ने अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्थगित नहीं करतीं, बल्कि मामले का अंतिम निर्णय करती हैं.
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि वक्फ-बाय-यूजर को वैधानिक संरक्षण हटाने से मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने का अधिकार नहीं छीना जाता. सरकार ने हलफनामे में स्पष्ट किया कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता, बल्कि वक्फ प्रणाली को और पारदर्शी बनाने का प्रयास करता है.
Central government files its preliminary affidavit in the Supreme Court and seeks dismissal of petitions challenging constitutional validity of Waqf (Amendment) Act, 2025.
The Centre opposes stay on any provisions of the Act saying that it is a settled position in law that…
— ANI (@ANI) April 25, 2025
Centre says taking away the statutory protection to a Waqf-by-user does not deprive a person of the Muslim community to create a Waqf.
The affidavit further states that a “deliberate, purposeful and intentionally misleading narrative” is built very mischievously giving an…— ANI (@ANI) April 25, 2025
भ्रामक कथानक का खंडन
सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा गया है कि एक “जानबूझकर, उद्देश्यपूर्ण और इरादतन भ्रामक कथानक” बनाया जा रहा है, जिससे यह धारणा दी जा रही है कि जिन वक्फों (वक्फ-बाय-यूजर सहित) के पास दस्तावेजी प्रमाण नहीं हैं, वे प्रभावित होंगे. ऐसे में सरकार ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा, “यह न केवल असत्य और झूठा है, बल्कि जानबूझकर और उद्देश्यपूर्ण रूप से इस अदालत को गुमराह करने वाला है.
For being protected as ‘Waqf-by-user’ under proviso to Section 3(1)(r), no trust, deed or any documentary proof has been insisted upon in the amendment or even prior thereto, says Centre.
The only mandatory requirement for being protected under the proviso is that such…
— ANI (@ANI) April 25, 2025
जानिए केंद्र ने अपने हलफनामें में क्या कहा?
केंद्र ने हलफनामे में स्पष्ट किया कि धारा 3(1)(आर) के प्रावधान के तहत 'वक्फ-बाय-यूजर' के रूप में संरक्षित होने के लिए संशोधन में या उससे पहले भी किसी ट्रस्ट, डीड या किसी दस्तावेजी सबूत पर जोर नहीं दिया गया है. इसमें कहा गया है कि प्रावधान के तहत संरक्षित होने के लिए एकमात्र अनिवार्य आवश्यकता यह है कि ऐसे 'वक्फ-बाय-यूजर' को 8 अप्रैल, 2025 तक पंजीकृत होना चाहिए, क्योंकि पिछले 100 वर्षों से वक्फों को नियंत्रित करने वाले कानून के अनुसार पंजीकरण हमेशा अनिवार्य रहा है.
SC 5 मई को मामले की करेगी सुनवाई
सरकार ने 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई तक न तो "उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ" सहित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करेगी और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति करेगी. इस दौरान सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ अंतरिम आदेश पारित करने के मामले पर 5 मई को सुनवाई करेगी.