menu-icon
India Daily

एक-दो नहीं बल्कि 20 मामलों में LG से आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं केजरीवाल, देखें पूरी लिस्ट

VK Saxena vs Arvind Kejriwal: लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना की ओर से केंद्र सरकार को लिखे गए पत्र ने एक बार फिर दिल्ली में उपराज्यपाल और सरकार के बीच चल रहे कानूनी झगड़ों को सुर्खियों में ला दिया है. सक्सेना के कार्यभार संभालने के बाद से, रिकॉर्ड्स बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में कम से कम 20 मामले दायर किए गए हैं जिनमें उपराज्यपाल को पक्षकार बनाया गया है.

auth-image
Edited By: India Daily Live
ARvind Kejriwal VK Saxena

VK Saxena vs Arvind Kejriwal: दिल्ली में उपराज्यपाल वीके सक्सेना और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच कानूनी लड़ाई लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना की ओर से केंद्र सरकार को लिखे गए पत्र में बड़ा खुलासा हुआ है जिसके बाद दिल्ली सरकार की ओर से दायर की गईं "लाभ के लिए दायर याचिकाओं" का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. 

इस पत्र ने दोनों प्राधिकरणों के बीच चल रहे कानूनी झगड़ों पर फिर से ध्यान दिलाया है. दस्तावेजों के अनुसार LG वीके सक्सेना के पदभार संभालने के बाद से दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच कम से कम 20 मामले सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में दर्ज किए गए हैं. इनमें से 9 मामले सुप्रीम कोर्ट में हैं और 11 मामले हाई कोर्ट में हैं.

हर रोज हो रही सुनवाई में दाखिल हो रहे नए हलफनामे

गौर करने वाली बात ये है कि हाई कोर्ट में कई याचिकाएं ऐसी भी हैं जिनमें दिल्ली सरकार के "सेवा" विभाग को भी एक पक्षकार के रूप में शामिल किया गया है. चूंकि यह विभाग आम आदमी पार्टी सरकार के नियंत्रण में नहीं आता, इसलिए ये ऐसे मामले हैं जहां उपराज्यपाल का कार्यालय अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है और ये मामले राजधानी के प्रशासनिक और शासन से जुड़े मुद्दों से संबंधित हैं.

दोनों अदालतों में लगभग रोजाना सुनवाई वाले मामलों में या तो निर्वाचित सरकार के विभिन्न विभागों या उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जवाबी हलफनामे दायर किए जा रहे हैं.

दिल्ली जल बोर्ड को जारी हुआ है नोटिस

उदाहरण के लिए, शुक्रवार को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड को एक नोटिस जारी किया, जिसमें आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से बोर्ड को धन जारी नहीं करने का आरोप लगाया गया था. यह बोर्ड शहर को पेयजल आपूर्ति करने के लिए जिम्मेदार है.

अदालत ने इस मामले में दिल्ली जल बोर्ड को भी एक पक्षकार बना दिया, जहां याचिका का शीर्षक "जीएनसीटीडी बनाम एलजी" है. उपराज्यपाल सक्सेना ने अपने संचार में इस मामले का हवाला राज्य सरकार की ओर से दायर "लाभ के लिए दायर याचिकाओं" के उदाहरण के रूप में दिया था.

इन मामलों में भी कोर्ट गई है दिल्ली सरकार

अन्य प्रमुख मुद्दे जिन पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार अदालतों में गई है, उनमें दिल्ली सरकार अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने वाले अध्यादेश को लागू करना शामिल है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले साल मई में जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था से संबंधित मामलों को छोड़कर, सेवाओं के मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने के फैसले के बाद उठाया गया था.

इसके अलावा, दिल्ली नगर निगम में पार्षदों के नामांकन का मामला भी विवादों में घिरा रहा. इन नामांकनों को संबंधित मंत्री की सलाह के बिना किया गया था. वहीं, दिल्ली संवाद और विकास आयोग के उपाध्यक्ष को हटाने और कथित तौर पर उपराज्यपाल के निर्देश पर वित्त विभाग की ओर से दिल्ली जल बोर्ड को पैसा देने से रोकने के मामले भी सामने आए हैं.

समझ से परे इतने विवाद

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि दिल्ली सरकार या अन्य संस्थाओं की ओर से उपराज्यपाल कार्यालय के खिलाफ दायर किए गए सभी मामले "अदालतों को गुमराह करने" के प्रयास हैं या निर्वाचित सरकार की वास्तविक शिकायतें हैं.  सरकार लगातार अदालतों में यह शिकायत कर रही है कि नौकरशाह मंत्रियों की बात नहीं सुनते, जिससे सरकार के पास अदालत जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता.

उदाहरण के तौर पर, हाई कोर्ट ने विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से अनुबंध पर नियुक्त किए गए फेलो को हटाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर उपराज्यपाल कार्यालय से जवाब मांगा है. अदालत ने हाल ही में फेलो हटाए जाने पर लगी रोक हटा दी है, लेकिन यह जानना चाहा है कि जिस अवधि में उन्होंने विधानसभा में काम किया है, उस समय के दौरान दी जाने वाली राशि क्या है.