नई दिल्ली: भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में बेहद अहम स्थान रखता है. हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले हर भारतीय की इच्छा होती है कि वो अपने जीवनकाल में अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम का दर्शन-पूजन कर सके. भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त निकाला गया है. जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा. ऐसे में हर भारतीयों का हृदय आनंदित रोम रोम पुलकित है.
मोदी और योगी सरकार की ओर से पौराणिकता को सहेजते हुऐ धर्मनगरी अयोध्या को विश्वस्तरीय पर्यटन नगरी के रूप में विकसित किया जा रहा है. अयोध्या नगरी में ऐसे कई धार्मिक स्थल. जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं. आईए हम आपको अयोध्या के स्मरणीय और दर्शनीय स्थलों के बारे में बताते है.
प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी को अधोध्या का सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर माना जाता है. बताया जाता है कि हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना करीब 300 साल पहले स्वामी अभयराम जी ने की थी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में बजरंगबली के दर्शन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, फिर उसके बाद अन्य मंदिरों का दर्शन करना चाहिए. कहां जाता है कि हनुमानजी की कृपा के बिना किसी को रामजी का आशीर्वाद नहीं मिलता है. भगवान राम के दर्शन करने से पहले उनके सबसे प्रिय भक्त हनुमानजी के दर्शन और उनकी आज्ञा लेना जरूरी माना जाता है.
अयोध्या के कनक भवन के भव्य में भगवान राम और माता जानकी की मूर्ति स्थापित है. देश भर से आए श्रद्धालु मंदिर में भगवान राम और माता जानकी का दर्शन करते है. कहा जाता है कि रानी कैकेयी ने कनक भवन को माता सीता को मुंह दिखाई में दिया था. आगे चलकर कालांतर में कई बार इस मंदिर का निर्माण और जीर्णोद्धार होता रहा. वर्तमान समय का मंदिर 1891 में ओरक्षा की रानी का बनवाया हुआ है. अयोध्या आने वाले श्रद्धालु हनुमानगढ़ी, श्रीरामजन्मभूमि के साथ कनक भवन दर्शन करने जरूर जाते है.
अयोध्या श्री रामजन्मभूमि परिसर में बन रहे मंदिर निर्माण का काम अंतिम चरण में है. राम मंदिर निर्माण के दौरान रामलाल एक अस्थाई बुलेटप्रूफ गर्भगृह में विराजमान है. वर्तमान में दर्शनार्थियों इसी गर्भगृह तक आने की व्यवस्था है. अयोध्या में ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ. इसलिए इसे राम जन्मभूमि कहा जाता है. आराध्य प्रभु श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भगृह में विराजित होंगे.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा दशरथ ने त्रेता युग में दशरथ महल की स्थापना की थी. धार्मिक मान्यता है कि राजा दशरथ महल में भगवान राम का बचपन बीता था. इसी भवन में प्रभु राम अपने भाइयों संग खेला करते थे. इस पौराणिक महल का कालांतर में कई बार जीर्णोद्धार भी किया गया. महाराज दशरथ के महल को बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता है. वर्तमान समय में दशरथ महल अब एक पवित्र मंदिर के रूप में तब्दील हो चुका है.जहां भगवान राम माता सीता लक्ष्मण शत्रुघ्न और भरत की प्रतिमाएं स्थापित हैं. इस पवित्र जगह पर वैष्णव परम्परा की प्रसिद्ध पीठ और विन्दुगादी की सर्वोच्च पीठ भी स्थित है.
अयोध्या में नागेश्वर नाथ मंदिर राम की पैड़ी पर है. कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना राम के पुत्र कुश ने की थी. इसके पीछे पौराणिक कथा यह है कि कुश ने सरयू नदी में स्नान करते समय अपना बाजूबंद खो दिया था, जिसे एक नाग-कन्या ने उठा लिया था, जो उससे प्रेम करने लगी थी, चूँकि वह शिव की भक्त थी इसलिए कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया. 1750 में वर्तमान मंदिर का निर्माण सफदर जंग के मंत्री नवल राय ने करवाया था.यहां शिवरात्रि का त्योहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है.
यह रामायण के विभिन्न अंशों से जुड़ा एक मंदिर है और नया घाट के पास स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम के साथ देवी सीता के विवाह के बाद देवी गिरिजा देवी की मूर्ति लेकर अयोध्या पहुंचे. मूर्ति के लिए राजा दशरथ ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण किया और देवी सीता मंदिर में मूर्ति या देवी की पूजा करती थी. स्थानीय देवता देवी देवकाली की एक प्रभावशाली मूर्ति अब मंदिर में मौजूद है.
अयोध्या में माता सीता की रसोई अपने नाम के मुताबिक कोई विशेष रसोई घर नहीं है. ये राम मंदिर परिसर में ही मौजूद एक मंदिर है. ये मंदिर राम जन्मभूमि के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से में मौजूद है. इस मंदिर में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न और अपनी पत्नियों सीता, उर्मिला, मांडवी और सुक्रिर्ति के साथ मंदिर में विराजित है. माता सीता को अन्नपूर्णा अथवा अन्न की देवी भी कहा जाता है.
अयोध्या की सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट भी हैं. जिसमें राम की पैड़ी, गुप्त द्वार घाट, कैकयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाय, लक्ष्मण घाट प्रमुख है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सरयू नदी के किनारे स्थित घाटों पर स्नान करने से सभी पापों का शमन होता है. रामभक्त रामलला का दर्शन-पूजन करने के साथ-साथ राम की पैड़ी पर स्नान करके रामत्व के भाव को आत्मसात करते है.
अयोध्या का दंतधावन कुंड और मंदिर बहुत प्राचीन स्थल है. ऐसी मान्यता है कि माना जाता है कि दंतधावन कुंड में भगवान श्री राम सुबह-सुबह अपने दांतों की सफाई किया करते थे.