मणिपुर में भड़की हिंसा, स्पेशल फोर्स के जवान समेत 2 की मौत

हमला हरओथेल और कोबशा गांवों के बीच हुआ, जहां आईआरबी कर्मियों और उनके ड्राइवर को ले जा रही एक मारुति जिप्सी पर गोलीबारी हुई. हमले के दौरान हेनमिनलेन वैफेई और थांगमिनलुन हैंगसिंग दोनों की चोटों के कारण मौत हो गई.

Gyanendra Sharma

नई दिल्ली: मणिपुर में एक बार फिर से हिंस भड़क गई है.  कांगपोकपी जिले में दो विरोधी समूहों के बीच गोलीबारी के दौरान 6वीं आईआरबी के एक पुलिसकर्मी हेनमिनलेन वैफेई सहित दो व्यक्तियों की जान चली गई. यह हमला हरओथेल और कोबशा गांवों के बीच हुआ, जहां आईआरबी कर्मियों और उनके ड्राइवर को ले जा रही एक मारुति जिप्सी पर गोलीबारी हुई. हमले के दौरान हेनमिनलेन वैफेई और थांगमिनलुन हैंगसिंग दोनों की चोटों के कारण मौत हो गई.

घटना के बाद एक आदिवासी संगठन ने दावा किया कि कुकी-जो समुदाय के लोगों पर बिना उकसावे के हमला किया गया. साथ ही जिले में बंद भी घोषित कर दिया गया है. बता दें, मई की शुरुआत में पूर्वोत्तर राज्य में मैतेई  और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से इस क्षेत्र में ग्रामीणों के बीच गोलीबारी की कई घटनाएं सामने आई हैं.

अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में मणिपुर के पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित होने के बाद मई से पूर्वोत्तर राज्य हिंसा की चपेट में है. 3 मई को दो आदिवासी समूहों, कुकी और मैतेई के बीच जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से लगभग 200 लोग मारे गए हैं. मणिपुर की सीमा नागालैंड, मिजोरम और असम से लगती है, इसके अलावा इसके पूर्व में म्यांमार के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा होती है.

बता दें कि मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. इस समुदाय के लोगो इंफाल की घाटी में रहते हैं. राज्य की आदिवासी आबाजी जोकि 40 फिसदी है, ये पहाड़ों में रहते हैं. सारी लड़ाई जमीन की बताई जा रही है.