नई दिल्ली: मणिपुर में गुरुवार को एक बार फिर हिंसा भड़क उठी. मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में प्रदर्शन कर रहीं मैतेई समुदाय की महिलाओं के साथ सशस्त्र बलों की झड़प हो गई जिसमें लगभग 17 लोग घायल हो गए.
इस घटना के बाद इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट प्रशासन ने पहले घोषित की गई कर्फ्यू की ढील को फिर से वापस ले लिया. अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर पूरे दिन प्रतिबंध लगाया.
पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले
सशस्त्र बलों और मणिपुर पुलिस ने बिष्णुपुर जिले के कंगवई और फोगाकचाओ इलाके में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे.
मिली जानकारी के अनुसार, यह पूरी घटना तब घटी जब मैतेई महिलाएं जिले के बैरिकेड जोन को पार करने की कोशिश कर रही थीं. जैसे ही असम राइफल्स और रैपिड ऐक्शन फोर्स (RAF) ने उन्हें रोकने की कोशिश की वहां पत्थरबाजी और झड़प शुरू हो गई.
इसी बीच, इलाके में आगे इस प्रकार की किसी भी हिंसा को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.
क्यों भड़की हिंसा
जिले में तमाव की स्थिति सुबह से ही बन गई थी जब हजारों की संख्या में स्थानीय लोग सुरक्षा बलों की गतिविधि को रोकने के लिए गलियों में निकल आए.
कोर्ट ने लगा दी थी मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने पर रोक
इस झड़प से कुछ घंटों पहले मणिपुर जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-जूमी समुदाय के लोगों को सामूहिक रूप से दफानने पर गुरुवार सुबह आए हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद रोक लगा दी गई जिसमें उसने चुराचांदपुर जिले में प्रस्थावित दफन स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया था.
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