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'यहां जूते चोरी नहीं होते, फेंके जाते हैं,' उत्तराखंड के इस मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ हुआ खेला!

उत्तराखंड के देहरादून में एक मंदिर परिसर में पर्यटकों द्वारा फेंके गए चप्पलों से परेशान मंदिर के कर्मचारियों ने वीडियो जारी कर लोगों को सख्त मैसेज दिया है. उन्होंने मंदिर में आने वाले लोगों से अपील करते हुए कहा, 'प्रिय पर्यटक, कृपया हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करें. हमारी भूमि और प्रकृति की पवित्रता का उल्लंघन न करें'. 

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उत्तराखंड के मसूरी से लगभग 12 किमी दूर पहाड़ी की चोटी पर स्थित भद्रराज मंदिर भगवान बाल भद्र को समर्पित सुरम्य संगमरमर का मंदिर है. बालभद्र, भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम को कहा जाता है. यहां लोग चोटी की चढ़ाई यानी ट्रैकिंग करके आते हैं. इस मंदिर में हमेशा लोगों की खासी भीड़ नजर आती है, वहीं हजारों की संख्या में पर्यटक नीचे दून घाटी के शानदार नजारों को देखने के लिए आते हैं. मंदिर परिसर में अक्सर लोग आकर अपना चप्पल छोड़ जाते हैं, जिससे यहां के लोगों को काफी परेशानी होती है.

अब देहरादून के मंदिर कमेटी ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है. हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें देखा गया कि कैसे मंदिर के कर्मचारी ने घूमने आने लोगों को सख्त मैसेज देने के लिए पहाड़ से जूते-चप्पलों को नीचे फेंक दिया. 

इंस्टग्राम यूजर सोराज डोगरा ने एक वीडियो जारी कर ऐसे लोगों के लिए सख्त मैसेज दिया है. जो इस मंदिर में चप्पल पहन कर जातें हैं. और फिर उसे ऊपर ही छोड़ देते हैं. इस वीडियो में एक व्यक्ति जो संभवत: मंदिर के कर्मचारी है, उन्होंने परिसर में मौजूद सभी जूते और चप्पलों को उठाकर उसे रेलिंग से नीचे खाई में फेंक दिया. 

'परंपराओं का सम्मान करें...'

डोगरा ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'ऐसा तब होता है जब बाहरी लोग हमारे पवित्र स्थान पर आते हैं और स्पष्ट निर्देशों के बावजूद भी अपने जूते और चप्पल मंदिर के अंदर ले आते हैं.' उन्होंने मंदिर में आने वाले लोगों से अपील करते हुए कहा, 'प्रिय पर्यटक, कृपया हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं का सम्मान करें. हमारी भूमि और प्रकृति की पवित्रता का उल्लंघन न करें'. 

'प्रयासों की सराहना करता हूं...'

वहीं इस वीडियो पर कुछ लोगों ने कमेंट कर कहा, 'बहुत बढ़िया... प्रयासों की सराहना करता हूं, आइए उन्हें तीर्थयात्री और छुट्टी मनाने की जगह के बीच का अंतर सिखाएं.'

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, 'यह बिल्कुल सही काम है'. हालांकि कुछ लोगों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि मंदिर कर्मचारियो को कचरे को ऐसे प्रकृति में नहीं फेंकना चाहिए था. 

'पहाड़ों की रानी'

बता दें कि भद्रराज मंदिर मसूरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो 'पहाड़ों की रानी' के नाम से मशहूर लोकप्रिय हिल स्टेशन है. इस मंदिर परिसर में जूता, चप्पल अंदर ले जाना मना है. उसके लिए मंदिर के बाहर एक स्थान तय है.