Chhaava: छावा के औरंगजेब को देख क्यों खौल रहा है देश में बड़ी आबादी का खून? नागपुर हिंसा से क्या है कनेक्शन?
विक्की कौशल की छावा जो संभाजी महाराज की वीरता को सामने लाने के इरादे से बनाई गई थी, लेकिन औरंगजेब के किरदार की वजह से एक बड़े विवाद का केंद्र बन गई. फिल्म में औरंगजेब के किरदार ने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक आग भड़काने का काम किया है.
Chhaava: विक्की कौशल की छावा इस बात का उदाहरण हैं कि सिनेमा, इतिहास और सियासत का मेल कितना विस्फोटक हो सकता है. यह फिल्म, जो संभाजी महाराज की वीरता को सामने लाने के इरादे से बनाई गई थी, लेकिन औरंगजेब के किरदार की वजह से एक बड़े विवाद का केंद्र बन गई. फिल्म में औरंगजेब के किरदार ने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक आग भड़काने का काम किया है.
कल नागपुर में हुई हिंसा को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में भी जमकर हंगामा हुआ है जिसनें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हिंसा को एक सोची समझी साजिश करार देते हुए कहा कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. इसके अलावा उन्हें इस हिंसा के पिछे विक्की कौशल की फिल्म छावा को भी जिम्मेदार ठहराया है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है जिसे देख मुख्यमंत्री फडणवीस ने इतना बड़ा बयान दे दिया है.
14 फरवरी 2025 को रिलीज हुई छावा, जिसमें विक्की कौशल ने संभाजी महाराज का किरदार निभाया है. फिल्म की कहानी संभाजी के जीवन और औरंगजेब के खिलाफ उनके संघर्ष पर दिखाई गई है. औरंगजेब का इतिहास वैसे भी विवादास्पद रहा है जिसमें उनके शासनकाल में मंदिरों तो तोड़ना, कठोर कर नीतियां और संभाजी को क्रूर यातनाएं देकर मारने जैसी चीजें शामिल हैं. जिस तरह से औरंगजेब, संभाजी महाराज की जान लेता है, फिल्म का वह सीन देख हर मराठी का खून खौल उठता है.
सोशल मीडिया पर औरंग के खिलाफ पोस्ट
सोशल मीडिया पर फिल्म रिलीज के बाद औरंगजेब के खिलाफ पोस्ट्स की बाढ़ आ गई. लोग इतिहास को फिर से खंगालने लगे, औरंगजेब की क्रूरता को लेकर बहस छिड़ गई. यह चर्चा तब सियासी रंग लेने लगी जब बीजेपी शासित राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात में फिल्म को टैक्स-फ्री कर दिया. बीजेपी ने इसे संभाजी की वीरता और मराठा गौरव के प्रतीक के रूप में पेश किया, जो उनकी हिंदुत्ववादी राजनीति से मेल खाता था.
दूसरी ओर, सपा नेता अबु आजमी ने औरंगजेब का बचाव करते हुए कहा कि उसे गलत तरीके से बदनाम किया जा रहा है. उनके बयान ने बीजेपी और हिंदू संगठनों को और भड़काने का काम किया.
फिल्मों का लोगों पर असर
यह पहली बार नहीं है जब बॉलीवुड फिल्मों ने विवाद को जन्म दिया हो. 'पद्मावत' (2018) में करणी सेना के हिंसक प्रदर्शन, या 'द कश्मीर फाइल्स' (2022) के बाद धार्मिक तनाव इसके उदाहरण हैं. 'एनिमल' जैसी फिल्मों पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है, लेकिन 'छावा' का मामला अलग है. यह फिल्म हिंसा को सीधे प्रमोट नहीं करती, बल्कि इतिहास के एक संवेदनशील पहलू को छूती है, जिसे सियासी दलों और संगठनों ने अपने-अपने तरीके से भुनाया.
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