'घृणित और बेहद निंदनीय', राहुल गांधी के बयानों पर बरसे उपराष्ट्रपति धनखड़

Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को फटकार लगाई है. उपराष्ट्रपति ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे ऐसे व्यक्ति द्वारा की गई अमेरिका में की गई बातें अशोभनीय हैं. उन्हें हमारे संविधान के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

ANI
India Daily Live

Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी का नाम लिए बिना उनकी तीखी आलोचना की. धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति द्वारा देश के दुश्मनों के साथ गठबंधन करने से ज्यादा निंदनीय और घृणित कुछ नहीं हो सकता है.  उन्होंने कहा कि मुझे दुख और परेशानी है कि पद पर बैठे कुछ लोगों को भारत के बारे में कुछ भी पता नहीं है. उन्हें हमारे संविधान के बारे में कुछ भी पता नहीं है, उन्हें हमारे राष्ट्रीय हित के बारे में कुछ भी पता नहीं है. 

उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि आप जो देख रहे हैं, उसे देखकर आपका दिल दुख रहा होगा. अगर हम सच्चे भारतीय हैं, अगर हमें अपने देश पर भरोसा है, तो हम कभी भी देश के दुश्मनों का साथ नहीं देंगे.  हम सभी देश के लिए पूरी ताकत से खड़े रहेंगे. उपराष्ट्रपति धनखड़ की यह टिप्पणी केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा गांधी की आलोचना करने के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने उन पर भारत को विभाजित करने वाली ताकतों का साथ देने का आरोप लगाया था.  यह प्रतिक्रिया अमेरिका में गांधी की हाल की टिप्पणियों से प्रेरित थी, जहां उन्होंने भारत में आरक्षण और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे विषयों पर चर्चा की थी.

राष्ट्रवाद का उपहास नहीं कर सकते 

राज्यसभा के नए सांसदों से बात करते हुए धनखड़ ने कांग्रेस नेता पर निराशा व्यक्त की और उन पर भारत, संविधान और राष्ट्रीय हित की समझ की कमी का आरोप लगाया.  उन्होंने देश की आजादी के लिए किए गए बलिदानों पर जोर देते हुए कहा कि इस आजादी के लिए कई लोगों ने अपनी जान दी है. हम अपने राष्ट्रवाद का मजाक नहीं उड़ा सकते. उन्होंने आगे कहा कि कल्पना कीजिए, इस स्वतंत्रता को पाने में, इस स्वतंत्रता की रक्षा करने में, राष्ट्र की रक्षा करने में कितने लोगों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है! हमारे भाई-बहन भी युद्ध की स्थिति में शामिल हैं. माताओं ने अपने बेटों को खो दिया है, पत्नियों ने अपने पतियों को खो दिया है. हम अपने राष्ट्रवाद का उपहास नहीं कर सकते.

हजारों साल पुरानी भारत की सभ्यता 

धनखड़ ने इस बात पर भी जोर दिया कि विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को देश के राजदूत के रूप में काम करना चाहिए, और यह विशेष रूप से परेशान करने वाला है जब संवैधानिक पदों पर बैठे लोग इसके विपरीत काम करते हैं.  उन्होंने इस व्यवहार को असहनीय बताया और कहा कि ऐसे लोग स्वतंत्रता या भारत की 5,000 साल पुरानी सभ्यता के मूल्य को समझने में विफल रहते हैं. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश के बाहर रहने वाले हर भारतीय को इस राष्ट्र का राजदूत बनना होगा.  यह कितना दुखद है कि एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति इसके ठीक विपरीत काम कर रहा है! इससे अधिक निंदनीय, घृणित और असहनीय कुछ नहीं हो सकता कि आप राष्ट्र के दुश्मनों का हिस्सा बन जाएं! वे स्वतंत्रता के मूल्य को नहीं समझते हैं. उन्होंने कहा कि वह यह नहीं समझते कि इस देश की सभ्यता 5000 साल पुरानी है.