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'एंटी-नेशनल नैरेटिव कोविड की तरह है, इसे खत्म करना जरूरी', गीता महोत्सव में बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

Jagdeep Dhankhar On Anti National Narrative: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कल यानी रविवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित गीता महोत्सव में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने एंटी-नेशनल नैरेटिव को कोरोना वायरस बताते हुए कहा कि इसे खत्म करना जरूरी है.

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Edited By: Purushottam Kumar
Jagdeep Dhankhar

हाइलाइट्स

  • 'एंटी-नेशनल नैरेटिव कोरोना वायरस की तरह इसे खत्म करना जरूरी'
  • दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद दुनिया ने इतना दर्द कभी नहीं देखा- धनखड़

Jagdeep Dhankhar On Anti National Narrative: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कल यानी रविवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित गीता महोत्सव में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने एंटी-नेशनल नैरेटिव को कोरोना वायरस बताते हुए कहा कि इसे खत्म करना जरूरी है. धनखड़ ने कहा कि हम में से कुछ लगो एंटी-नेशनल नैरेटिव को आगे बढ़ाते हैं और इसमें आनंद लेते हैं जो गलत है. कोरोना वायरस से एंटी-नेशनल नैरेटिव की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि इसका विरोध करना जरूरी है. उन्होंने आगे कहा कि यह एक कोरोना वायरस है जिसको खत्म करना बहुत जरूरी है.

जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गीता महोत्सव कार्यक्रम में कहा कि कुछ लोग देश-विरोधी बातों को फैलाने में आनंद लेते हैं. लोगों को उनका विरोध करना चाहिए क्योंकि यह कोरोना वायरस की तरह है. धनखड़ ने कहा कि गीता का दर्शन भारतीय सभ्यता, इसकी संस्कृति का आधार है और वर्तमान समय में निष्पक्षता, पारदर्शिता, समानता और सार्वभौमिक भाईचारे के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर देने के साथ भारत के शासन की आत्मा है. धनखड़ ने आगे कहा कि आज भारत विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है.

वैश्विक स्थिरता के लिए खड़े हैं हम- धनखड़

जगदीप उन्होंने ने कहा कि हम एक विश्व शक्ति हैं और शांति के लिए, वैश्विक स्थिरता के लिए खड़े हैं. उन्होंने कहा  कि 2047 में जब हम अपनी आजादी के शताब्दी समारोह में होंगे तो हमें अपने भारत को चरम पर ले जाना है, 

दुनिया में चल रहे युद्धों का किया जिक्र

रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास जंग का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद दुनिया ने इतना दर्द कभी नहीं देखा. धनखड़ ने कहा कि जब दुनिया के सामने दो बड़े मुद्दे थे, तब पीएम मोदी ने गीता से मार्गदर्शन लेते हुए कहा कि बातचीत और कूटनीति के जरिए युद्ध से बचने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए. उन्होंने महाभारत काल का संदर्भ देते हुए कहा, भगवान कृष्ण ने यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि कोई युद्ध ना हो. उन्होंने कहा, लेकिन एक बार जब यह अपरिहार्य हो गया, तब भी भगवान कृष्ण ने अर्जुन को 'ज्ञान' दिया, जिस पर हमें आज विचार करने की जरूरत है.