menu-icon
India Daily

सेक्स पावर वाली दवा VIAGRA के नाम पर किसका हक? हाई कोर्ट ने कर दिया फैसला

वियाग्रा का इस्तेमाल सेक्स पावर बढ़ाने के लिए किया जाता है. इस दवाई के नाम पर अब रार हो रही है. जानिए इस नाम का असली हकदार कौन है.

auth-image
Edited By: India Daily Live
VIAGRA
Courtesy: Social Media

सेक्स पॉवर बढ़ाने की दवाई वियाग्रा के नाम के इस्तेमाल को लेकर कई कंपनियों में जंग छिड़ी है. वियाग्रा के ट्रेडमार्क लेकर  दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है.  एक याचिका की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि इस यह दवाई सिर्फ फाइजर कंपनी ही बनाती है, पहला हक उसी का है. फाइजर एक अमेरिकन कंपनी है, जो वियाग्रा बनाती है. फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन फाइजर-बायनोटेक दुनियाभर में खूब बिकी थी. 

हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला ने इस केस की सुनवाई के दौरान कहा, 'वियाग्रा टर्म का इस्तेमाल फाइजर ने सबसे पहले किया था, इसका डिक्शनरी में कोई अर्थ नहीं है. कंपनी इस नाम को लेकर आई है. रजिस्ट्रेशन के कागज बताते हैं कि इस नाम पर फाइजर का ही हक है.'

हाई कोर्ट ने कहा कि वियाग्रा शब्द अब ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में शामिल है. फाइजर की वजह से ही ऐसा हो सका था. यह नया बना शब्द है, जिस पर कंपनी का अधिकार है. हाई कोर्ट ने कहा कि रिनोविजन एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड, VIGOURA बेचना बंद कर दे. यह भ्रामक है और वियाग्रा की तरह ही लगता है. इस नाम से रिनोविनज कंपनी एक होम्योपैथिक दवाई बेचती है.

हाई कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
- हाई कोर्ट ने कहा कि रिनोविजन या दूसरी कंपनियां VIGOURA नाम से दवाइयां न बेचें. यह वियाग्रा से मिलता-जुलता नाम है.
- VIGOURA और VIAGRA का उच्चारण एक है, इसलिए लोग भ्रम में रहते हैं.
- यह ट्रेडमार्क कानूनों का उल्लंघन है.
- कोर्ट ने रिनोविजन कंपनी पर 3 लाख रुपये का फाइन भी ठोक दिया है. यह राशि फाइजर को देनी होगी.

फाइजर ने क्यों कोर्ट से लगाई थी गुहार?
फाइजर ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर केस में कहा था कि यह ट्रेडमार्क का उल्लंघन है. जर्मनी की कंपनी VIGOURA नाम से दवा बेच रही है. फाइजर का कहना है कि यह वियाग्रा से मिलता है. ऐसा करना ट्रेडमार्क कानूनों को गलत ठहराना है. यह कंपनी भ्रम में डालकर अपनी दवाई बेच रही है.