मोदी और शिंदे की जोड़ी बदल रही महाराष्ट्र की तस्वीर, वाढवन पोर्ट के दम पर उड़ान भरेगी सूबे की ग्रामीण अर्थव्यवस्था

डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस, अजित पवार और सीएम एकनाथ शिंदे की तिकड़ी दूरदर्शी नेतृत्व के रूप में पहचानी जाती है. शिंदे-फडणवीस की जोड़ी ने समृद्धि हाईवे को समय पर पूरा करके एक रिकॉर्ड बनाया था. यही नहीं MTHL यानी अटल सेतु भी फडनवीस के प्रयासों से पूरा हुआ.

freepik
India Daily Live

Maharashtra: महाराष्ट्र में केंद्र और राज्य सरकार की परियोजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने पर केंद्रित हैं. पिछले महीने पीएम मोदी ने पालघर जिले के गरधन में विशाल वाढवन पोर्ट का शिलान्यास किया. इस परियोजना के माध्यम से ग्रेटर मुंबई क्षेत्र, महाराष्ट्र और पूरे भारत के आर्थिक विकास के लिए एक नया गलियारा प्रदान किया जा रहा है, जो भारत के आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण साबित होगा.

महाराष्ट्र के लिए ऐतिहासिक दिन
वाढवन पोर्ट का शिलान्यास करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'महाराष्ट्र के लिए, 30 अगस्त 2024 महाराष्ट्र के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने वाला दिन है. वाढवन पोर्ट की परियोजना के माध्यम से ग्रेटर मुंबई क्षेत्र, महाराष्ट्र और पूरे भारत के आर्थिक विकास के लिए एक नया गलियारा खुलेगा, जो भविष्य में भारत को एक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करेगा. भारत के लिए यह सौभाग्य की बात है कि देश के पास विशाल समुद्री तट है. मुंबई पोर्ट ने महाराष्ट्र और मुंबई को सुनहरे दिन दिखाए. जेएनपीटी पोर्ट देश का सबसे महत्वपूर्ण पोर्ट माना जाता है. यहां विदेशी व्यापार बढ़ने से जेएनपीटी पोर्ट पर दबाव लगातार बढ़ रहा था.'

जेएनपीटी से होगा तीन गुना बड़ा
जेएनपीटी को देश का सबसे बड़ा पोर्ट माना जाता है लेकिन वाढवन पोर्ट जेएनपीटी से तीन गुना बड़ा होगा. वाढवन पोर्ट के बनते ही देश के पोर्ट की कुल कंटेनर क्षमता दोगुनी होकर 298 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगी.

 फडणवीस, पवार और एकनाथ शिंदे का दूरदर्शी नेतृत्व
बता दें डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस, अजित पवार और सीएम एकनाथ शिंदे की तिकड़ी दूरदर्शी नेतृत्व के रूप में पहचानी जाती है. शिंदे-फडणवीस की जोड़ी ने समृद्धि हाईवे को समय पर पूरा करके एक रिकॉर्ड बनाया था. यही नहीं MTHL यानी अटल सेतु भी फडनवीस के प्रयासों से पूरा हुआ.

392 गांवों से होकर गुजरता है हाईवे
समृद्धि हाईवे महाराष्ट्र के दस जिलों के 392 गांवों से होकर गुजरता है. जिन जिलों से यह मार्ग गुजरता है, उनमें विदर्भ और मराठवाड़ा शामिल हैं, जहां बंदरगाह के जरिए कृषि वस्तुओं और औद्योगिक उत्पादों को जल्दी विदेश भेजा जा सकेगा. ऐसे में इस बंदरगाह के निर्माण से महाराष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी आएगी.