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India Daily

तीन हफ्ते की छुट्टी... 1-1 लाख रुपये की आर्थिक मदद; उत्तरकाशी टनल से निकाले गए मजदूरों के लिए हुईं ये घोषणाएं

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि टनल से निकाले गए सभी श्रमवीर बिलकुल स्वस्थ हैं. मजदूरों को रेग्यूलर चेकअप के लिए चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है.

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Edited By: Vineet Kumar
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हाइलाइट्स

  • मजदूर बोले- हम परिवार से मिलने को उत्सुक
  • सीएम बोले- निर्माणाधीन टनलों की होगी समीक्षा

Uttarkashi  Silkyara Tunnel workers health updates: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल से निकाले गए 41 मजदूरों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आर्थिक सहायता की घोषणा की है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के लिए काम रहे मजदूरों को करीब 3 हफ्ते की छुट्टी दी गई है. इन 3 हफ्तों में उनका वेतन नहीं कटेगा. साथ ही सभी मजदूरों को उत्तराखंड सरकार की ओर से 1-1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता करेगी. साथ ही उनके इलाज और घर जाने का खर्च भी सरकार उठाएगी.

उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार को 17 दिनों के बाद सुरक्षित निकाल लिया गया. दिवाली के दिन यानी 12 नवंबर को सुरंग के एक हिस्से में मलबा गिरने से ये सभी 41 मजदूर अंदर फंस गए थे. मजदूरों के फंसने के बाद उन्हें निकालने के लिए NDRF, SDRF, सेना, रैट माइनर्स की टीम समेत पिछले 17 दिनों से दिनरात काम कर रहीं थीं. 

सबसे पहले युवा मजदूर को निकाला गया बाहर

सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों में से सबसे पहले युवा मजदूर को निकाला गया. इसके बाद एक-एक कर सभी 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया. बाहर निकाले जाने के बाद सभी मजदूरों ने रेस्क्यू में जुटी सभी टीमों, केंद्र और उत्तराखंड सरकार को धन्यवाद दिया. 

वहीं, मजदूरों के सफल रेस्क्यू के बाद घटनास्थल पर मौजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सुरंग के बाहर बनाए गए बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा. साथ ही राज्य में बन रही सभी टनलों के कार्यों की समीक्षा की जाएगी. मुख्यमंत्री ने रेस्क्यू में जुटी सभी टीमों को धन्यवाद दिया. 

मजदूर बोले- हम परिवार से मिलने को उत्सुक

उधर, रेस्क्यू किए गए मजदूर अब अपने चिंतित परिवारों से मिलने के लिए उत्सुक हैं. बचाए गए मजदूरों में से एक, झारखंड के विश्वजीत कुमार वर्मा ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास था कि उन्हें बचा लिया जाएगा और वे बाहरी दुनिया को फिर से देखेंगे. मैं बहुत खुश हूं. फंसे हुए बाकी सभी मजदूर भी सुरक्षित हैं. अब हम अस्पताल में हैं.

उन्होंने बताया कि मलबा सुरंग की शुरुआत में गिरा था और मैं दूसरी तरफ था. हम अपना समय बिताने के लिए सुरंग के अंदर घूमते थे. शुरुआत में थोड़ा डर था, लेकिन जैसे-जैसे हमें खाना, पानी मिलता गया और अपने परिवारों से बात होती गई, हमारा मनोबल बढ़ता गया.

विश्वजीत के साथ रेस्क्यू किए गए सुबोध कुमार वर्मा ने कहा कि मैं झारखंड का रहने वाला हूं और सुरंग के अंदर कंक्रीट पंप चलाता हूं. सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह जाने से मजदूरों में डर का माहौल बन गया. डर के साये में 18-24 घंटे गुजर गए और उसके बाद जब हम खाना-पीना मिलने लगा, हमें कुछ राहत मिली. प्रशासन ने ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की थी. हमें पूरा भरोसा था कि प्रशासन हमें बाहर निकाल लेगा. सुबोध वर्मा ने आगे कहा कि वह अपने परिवार से मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

बता दें कि 41 लोगों में से 15 झारखंड से, दो उत्तराखंड से, पांच बिहार से, तीन पश्चिम बंगाल से, आठ उत्तर प्रदेश से, पांच ओडिशा से, दो असम से और एक हिमाचल प्रदेश से हैं.