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चारधाम सड़क चौड़ीकरण प्रोजेक्ट पर लटकी तलवार! BRO की हरी झंडी का लोगों ने किया विरोध, कहा- 'अनर्थ' हो जाएगा

Uttarkashi Char Dham Project: उत्तरकाशी में चारधाम सड़क चौड़ीकरण प्रोजेक्ट पर तलवार लटकती दिख रही है. सड़क चौड़ीकरण के लिए BRO की हरी झंडी का स्थानीय लोगों ने विरोध किया है. उन्होंने कहा कि सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों की कटाई से 'अनर्थ' हो जाएगा. लोगों ने चार धाम सड़क के चौड़ीकरण के लिए केंद्र को पेश की गई बीआरओ के वन मंजूरी आवेदन पर चिंता जताई और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति की ओर से सुझाई गई शर्तों की अनदेखी की गई है.

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Edited By: India Daily Live
Uttarkashi Char Dham project
Courtesy: social media

Uttarkashi Char Dham Project: उत्तरकाशी के निवासियों ने भागीरथी ईको-सेंसेटिव एरिया से होकर चार धाम मार्ग को चौड़ा करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पेश सीमा सड़क संगठन (BRO) की ओर से वन मंजूरी आवेदन पर चिंता जताई है. स्थानीय लोग विशेष रूप से इस बात से चिंतित हैं कि चार धाम परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति की ओर से अनुशंसित शर्तों की अनदेखी की गई है. अनुशंसित शर्तों का उल्लेख उत्तरकाशी को गंगोत्री से जोड़ने वाले और भागीरथी पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र से गुजरने वाले लगभग 100 किलोमीटर के खंड के संबंध में 14 दिसंबर, 2021 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में रवि चोपड़ा की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों का उल्लेख किया गया है कि बीआरओ को पर्यावरण मंत्रालय से सभी अपेक्षित मंजूरी प्राप्त करनी चाहिए. साथ ही सड़क चौड़ीकरण का कार्य विस्तृत पर्यावरणीय प्रभाव आकलन और शमन उपायों के प्रयोग के बाद ही किया जाना चाहिए. इसके अलावा, कहा गया कि देवदार के पेड़ों को काटने से बचना चाहिए और भेद्यता मूल्यांकन और भूभाग आकलन किया जाना चाहिए.

BRO के वन मंजूरी आवेदन में क्या कहा गया?

परियोजना के तहत किमी 8 (भैरोंघाटी) से किमी 29.300 (झल्ला) के बीच एनएच-34 को चौड़ा करने के लिए बीआरओ के वन मंजूरी आवेदनों में से एक कुछ विसंगतियों को दर्शाता है. आवेदन में कहा गया है कि ये सेक्शन संरक्षित क्षेत्र या इको-सेंसेटिव एरिया में स्थित नहीं है, हालांकि ये सेक्शन वास्तव में भागीरथी इको-सेंसेटिव एरिया में आता है. आवेदन में 41.92 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन की मांग की गई है और काटे जाने वाले पेड़ों के विवरण से पता चलता है कि सैकड़ों देवदार के पेड़ों को साफ करना होगा.

उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों के निवासियों के एक नागरिक समाज संगठन हिमालय नागरिक दृष्टि मंच ने मंगलवार को पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर भागीरथी इको-सेंसेटिव एरिया में सड़क चौड़ीकरण के पर्यावरणीय प्रभाव पर चिंता जताई. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और समिति की सिफारिशों का उल्लंघन करने वाले दो वन मंजूरी प्रस्तावों को तत्काल रद्द करने की मांग की. पत्र में कहा गया है कि वर्तमान उत्तरकाशी बीआरओ कमांडिंग ऑफिसर और प्रभागीय वन अधिकारी को सस्पेंड करें, जो उपर्युक्त गलत और भ्रामक जानकारी देकर उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार को गुमराह करने के लिए प्रथम दृष्टया जिम्मेदार हैं.

पूर्व ग्राम प्रधान बोलीं- प्रोजेक्ट समिति के निष्कर्षों का उल्लंघन करती है

भटवारी की पूर्व ग्राम प्रधान और उद्यमी पुष्पा चौहान ने कहा कि हमें बीआरओ की ओर से वन मंजूरी के लिए किए गए आवेदनों का पता चला है. सबसे पहले, पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण की पूरी परियोजना रवि चोपड़ा समिति के निष्कर्षों और चेतावनियों का उल्लंघन करती है. दूसरा, बीआरओ ने दावा किया है कि ये हिस्से इको-सेंसेटिव एरिया में नहीं हैं. ये कैसे संभव है? हम भी चाहते हैं कि हमारी सड़क अच्छी स्थिति में हो, लेकिन हम कीमती जंगलों को और नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते. यह क्षेत्र लैंडस्लाइड के लिए बेहद संवेदनशील है. स्थानीय लोग पहले से ही पीड़ित हैं. हम अपनी चिंताओं के बारे में जिला मजिस्ट्रेट से भी मिले हैं.

उत्तरकाशी के ही निवासी दीपक रमोला ने कहा कि मैं भैरोंघाटी से झाला तक के इलाके का सर्वेक्षण कर रहा हूं और पाया है कि देवदार के कई पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया गया है. अन्य पेड़ों को भी चिह्नित किया गया है और ये सड़क के किनारे से अंदरूनी इलाकों में लगाए गए हैं. क्या हमें वाकई इतने सारे पेड़ों को खोने की ज़रूरत है? इस क्षेत्र की संवेदनशील पारिस्थितिकी पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा.

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने क्या कहा था?

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 7 अगस्त को संसद में कहा कि चार धाम मार्ग का अंतिम 100 किलोमीटर लंबा हिस्सा, जो भागीरथी इको-सेंसेटिव एरिया से होकर गुजरेगा, को न्यूनतम 10 मीटर की चौड़ाई का पालन करना होगा. मंत्री ने कहा कि इस सड़क की सामरिक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, क्योंकि यह भारत-चीन सीमा से जुड़ती है, रक्षा उपकरणों को ले जाने के लिए सड़क पर्याप्त चौड़ी होनी चाहिए. उन्होंने स्वीकार किया कि इस सड़क पर लैंडस्लाइड का खतरा है.

पेड़ों के नुकसान की भरपाई के बारे में गडकरी ने कहा कि पेड़ों को कोई नुकसान नहीं होगा. ये समझना महत्वपूर्ण है कि ये चीन की सीमा पर है. मशीनरी, ट्रकों को इस पर चलने में सक्षम होना चाहिए. ये बहुत संवेदनशील मामला है. हम पर्यावरण, राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करेंगे और तीर्थयात्रियों के लिए सुविधा प्रदान करेंगे.