Uttarakhand: एक दिल दहला देने वाली घटना में, पिथौरागढ़ के तमोली ग्वीर बेरीनाग गांव की रहने वाली एक बहन ने अपने भाई का शव टैक्सी की छत पर बांधकर गांव पहुंचाया. गरीबी के कारण एंबुलेंस का खर्च उठाने में असमर्थ बहन के इस कदम ने हर किसी का दिल झकझोर दिया.
तमोली ग्वीर की रहने वाली शिवानी पिछले छह महीने से हल्द्वानी के हल्दूचौड़ में एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रही थी. अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए शिवानी ने अपने 20 साल के भाई अभिषेक को भी हल्द्वानी बुला लिया था. अभिषेक ने दो महीने पहले उसी कंपनी में नौकरी शुरू की. दोनों अलग-अलग किराए के कमरों में रहते थे.
शुक्रवार सुबह, सिर दर्द की शिकायत के बाद अभिषेक कंपनी से छुट्टी लेकर अपने कमरे में चला गया. शाम को जब शिवानी ने अभिषेक को खाने के लिए बुलाया, तो उसने थोड़ी देर बाद आने के लिए कहा. लेकिन जब कई घंटों तक कोई जवाब नहीं मिला, तो शिवानी ने उसके कमरे में गई.
मेरा उत्तराखंड ऐसा तो नहीं है?
— Ramesh Bhatt (@Rameshbhimtal) December 8, 2024
इतनी संवेदनहीनता कब घर कर गई हमारे?
क्या ये सच में देवभूमि है?
क्यों एक बहन भाई की लाश को टैक्सी की छत पर ले जाने को मजबूर हो गई?
बेरीनाग, पिथौरागढ़ के अभिषेक की हल्द्वानी में मौत हो गई।
उनकी लाचार बहन को शव घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं… pic.twitter.com/RwkUofL5xD
कमरे में दुर्गंध आने और अभिषेक के गायब होने से अनहोनी का शक हुआ. पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद तलाश के दौरान अभिषेक बेहोशी की हालत में सड़क पर गिरा मिला. उसे तुरंत सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
अभिषेक का पोस्टमॉर्टम शनिवार को हुआ, लेकिन शिवानी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह एंबुलेंस से शव को गांव ले जा सके. एंबुलेंस वालोों ने 10 से 12 हजार रुपये की मांग की, जो शिवानी के लिए भारी रकम थी. मजबूरी में शिवानी ने अपने गांव के एक टैक्सी चालक से संपर्क किया और शव को टैक्सी की छत पर बांधकर गांव ले गई.
इस घटना पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी नैनीताल, हरिश्चंद्र पंत ने कहा कि किसी ने एंबुलेंस के लिए संपर्क नहीं किया था. यह परिवार का निजी फैसला होता है कि वे अपने जानने वाले के शव को कैसे ले जाना चाहते हैं.
यह घटना न केवल गरीबी की कहानी बयां करती है, बल्कि प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल खड़े करती है.