उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महराज विवाद में फंस गए हैं. मामला टिहरी झील में क्रूज बोट और याट बोट संचालन के लिए जारी किए गए टेंडर से जुड़ा है. हाल ही में टिहरी झील में क्रूज और याट बोट संचालन के लिए आवेदन मांगे गए थे. मंत्री सतपाल महाराज के पुत्र सुयश ने भी इसके लिए टेंडर डाला. विपक्ष इसपर सवाल खड़े कर रहा है. विपक्ष द्वारा इस्तीफे की बढ़ती मांग के बीच उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने शनिवार को कहा कि वह अपने बेटे से टिहरी झील पर क्रूज चलाने के लिए अपना आवेदन वापस लेने को कहेंगे.
दरअसल, यह बयान तब आया जब उनके बेटे सुयश रावत को क्रूज चलाने के लिए चुना गया, जिससे इस पहल के लिए सरकार की निविदा प्रक्रिया पर विवाद खड़ा हो गया. 25 आवेदकों में से रावत समेत छह को शॉर्टलिस्ट किया गया. शॉर्टलिस्ट में टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवान के पति रघुनाथ सिंह सजवान का भी नाम था. टीएडीए राज्य पर्यटन विभाग के अंतर्गत आता है. शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को 28 अगस्त को जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में एक प्रस्तुति देनी है.
कांग्रेस ने महाराज और सत्तारूढ़ भाजपा पर नियम तोड़नेका आरोप लगाया. खटीमा से विधायक और कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुवन चंद्र कापड़ी ने कहा कि ब्लॉक प्रमुख के मामले में यह अनिवार्य है कि परिवार का कोई भी सदस्य ब्लॉक स्तर पर काम न करे. नगर पालिका या नगर निगम अध्यक्षों के लिए भी इसी तरह के नियम हैं. यह मंत्रियों पर क्यों लागू नहीं होता?
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण महारा ने स्थिति को अंधेर नगरी, चौपट राजा बताया और भाजपा की सभी मूल्यों और नैतिकता को त्यागने के लिए आलोचना की. उन्होंने कहा, सतपाल महाराज एक धार्मिक नेता भी हैं और उन्होंने राज्य और केंद्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है. ऐसा संभव नहीं है कि उन्हें इसकी जानकारी न हो. उन्हें और जिला पंचायत अध्यक्ष को अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए और मामले की गहन जांच होनी चाहिए.
इस मामले पर सफाई देते हुए सतपाल महराज ने कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी थी, हालांकि उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे से किसी और विवाद से बचने के लिए हटने को कहेंगे. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि विवाद अनावश्यक था, उन्होंने कहा कि क्रूज़ के लिए प्रक्रिया आवेदन के चरण में थी और मंज़ूरी अभी भी लंबित थी.
भाजपा भी मंत्री के बचाव में उतर आई. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, उत्तराखंड में कई उद्यमी हैं जो दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं और इसलिए उन्हें आवेदन करने का अधिकार है. अगर उन उद्यमियों में से कोई किसी का बेटा है, तो उसे संदेह की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए.