विदेश मंत्रालय ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश की एक महिला शहजादी खान को 15 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात में फांसी दे दी गई. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने यह भी कहा कि अधिकारी उसके परिवार को हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उसका अंतिम संस्कार 5 मार्च को होना है. इस पुष्टि के साथ, उच्च न्यायालय ने विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप की मांग करने वाली उसके पिता की याचिका का निपटारा कर दिया.
पिता शब्बीर ने खटखटाया था विदेश मंत्रालय का दरवाजा
इससे पहले शहजादी के पिता शब्बीर ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और विदेश मंत्रालय से उसकी कानूनी स्थिति और स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने में सहायता मांगी थी. उन्होंने उसकी स्थिति स्पष्ट करने के लिए बुलेटिन जारी करने की मांग की थी.
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली शहजादी को चार महीने के बच्चे की हत्या का दोषी ठहराया गया था और वह अबू धाबी की अल बटवा जेल में बंद थी. पिछले साल, उसके पिता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई अपीलें की थीं, जिसमें उसकी जान बचाने के लिए हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई गई थी.
बेटी को गलत तरीके से फंसाया गया : शब्बीर
शब्बीर ने दावा किया था कि उनकी बेटी को गलत तरीके से फंसाया गया है. उन्होंने बताया कि बचपन में शहजादी के चेहरे पर जलन होती थी और बाद में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान उसने 'रोटी बैंक ऑफ बांदा' संगठन के साथ काम किया. फेसबुक के जरिए उसकी दोस्ती आगरा निवासी उजैर से हुई थी, जिसने नवंबर 2021 में इलाज के बहाने उसकी दुबई यात्रा की व्यवस्था की थी. उजैर के रिश्तेदार, जिनमें उसके चाचा फैज, चाची नाजिया और नाजिया की सास अंजुम सहाना बेगम शामिल हैं, दुबई में रहते हैं.
4 महीने के बच्चे की हत्या का आरोप
शब्बीर के मुताबिक नाजिया ने एक बेटे को जन्म दिया था, जिसकी चार महीने और 21 दिन की उम्र में मौत हो गई थी, जिसके बाद शहजादी पर बच्चे की हत्या का आरोप लगाया गया था. उन्होंने कहा था, "नाजिया ने एक बेटे को जन्म दिया था, जिसकी चार महीने और 21 दिन की उम्र में मौत हो गई थी और शहजादी को इस बच्चे की हत्या में फंसाया गया है."
"फिलहाल मेरी बेटी शहजादी अबू धाबी की अल बटवा जेल में बंद है और उसने रविवार को मुझे फोन करके बताया कि उसे 20 सितंबर के बाद कभी भी फांसी दी जा सकती है।" उन्होंने आरोप लगाया था, "कोर्ट के आदेश पर 15 जुलाई 2024 को मटौंध थाने में बेटी को दुबई में बेचने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन जांच अधिकारी (आईओ) सब इंस्पेक्टर मोहम्मद अकरम ने जांच में एक भी कदम नहीं उठाया।"