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India Daily

ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच भारत-अमेरिका में होगी व्यापार डील, ऐसा करने वाला पहला देश क्यों बनने जा रहा है हिंदुस्तान?

 ये समझौता भारत की व्यापार रणनीति में बड़ा बदलाव लाएगा, जिसका मकसद उन्नत प्रौद्योगिकियों का अधिग्रहण, औद्योगिक विकास को गति देना और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत करना है.

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Edited By: Mayank Tiwari
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा में प्रगति
Courtesy: X@narendramodi

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. इस बीच अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने संकेत दिया है कि भारत अमेरिका के साथ कारोबार डील करने वाला पहला देश बन सकता है. बता दें कि, यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक शुल्क नीति से बचने के लिए भारत की रणनीति का हिस्सा है. बेसेंट ने पत्रकारों से कहा, “भारत के साथ समझौता करना बहुत आसान है,” क्योंकि भारत में गैर-शुल्क व्यापार बाधाएं हैं और मुद्रा हेरफेर नगण्य है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत शुल्क लगाया था, जिसे राष्ट्रपति ट्रंप के 90 दिनों के लिए ज्यादातर देशों पर शुल्क स्थगन के आदेश के बाद रोक दिया गया है. हालांकि, भारत पर वर्तमान में 10 प्रतिशत शुल्क लागू है. इस बीच, स्टॉक मार्केट कंपनी ACMIIL की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आगामी भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) भारत के अन्य विकसित देशों के साथ भविष्य की कारोबार बातचीत के लिए एक मॉडल बन सकता है.

 यह समझौता भारत की व्यापार रणनीति में बड़ा बदलाव लाएगा, जिसका मकसद उन्नत प्रौद्योगिकियों का अधिग्रहण, औद्योगिक विकास को गति देना और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत करना है.

द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लाभ

भारत-अमेरिका BTA के तहत भारत कुछ अमेरिकी कृषि और खाद्य उत्पादों पर शुल्क कम कर सकता है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को भारतीय बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी और भारतीय उपभोक्ताओं को खाद्य वस्तुओं की व्यापक विविधता उपलब्ध होगी. इसके बदले में, भारत को डिफेंस डील, स्वच्छ ऊर्जा और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका की बेहतर टेक्नॉलाजी का लाभ मिलेगा. ये क्षेत्र भारत के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.

भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति

फिलहाल, भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है. जहां बढ़ती रोजगार दर और बेहतर उपभोक्ता विश्वास से घरेलू खपत में वृद्धि हो रही है. ऐसे में सरकारी पूंजीगत व्यय और कर सुधारों के कारण निजी निवेश भी बढ़ रहा है.