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India Daily

US Deportation: अमेरिका से अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर फिर आ रहा एयरक्राफ्ट, 15 फरवरी को अमृतसर में लैंडिंग

ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त नीति बनाई और इसे अमल में लाने के लिए एक के बाद एक कड़े निर्णय लिए. अब, इसी नीति के तहत भारत के नागरिकों को भी अमेरिका से वापसी का सामना करना पड़ रहा है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
US Deportation
Courtesy: Social Media

अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही कई कड़े कदम उठाए गए हैं. ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त नीति बनाई और इसे अमल में लाने के लिए एक के बाद एक कड़े निर्णय लिए. अब इसी नीति के तहत भारत के नागरिकों को भी अमेरिका से वापसी का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में एक नई फ्लाइट के जरिए अमेरिका से अवैध रूप से रहने वाले भारतीय नागरिकों को वापस भारत भेजा गया. इस फ्लाइट में 104 भारतीय नागरिक थे, जो अवैध प्रवासी थे और अब उन्हें अपनी मातृभूमि लौटने के लिए मजबूर किया गया है. यह फ्लाइट अमृतसर में लैंड हुई. 

द हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, USA में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों से भरा एक और एयरक्राफ्ट, शनिवार (15 फरवरी, 2024) को अमृतसर लैंड करेगा. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कितने भारतीय आएंगे. सूत्रों के मुताबिक प्लेन 15 फरवरी को लैंड करेगा. पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने आरोप लगाया कि अमृतसर में निर्वासन विमानों को उतारने का फैसला एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा राज्य को बदनाम करने का प्रयास है.

अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई

अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, जिसमें भारतीय नागरिकों की भी बड़ी संख्या थी. अमेरिकी प्रशासन ने इस प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं. इन कदमों में अवैध प्रवासियों की पहचान करना, उन्हें गिरफ्तार करना, और फिर उन्हें उनके देश भेजना शामिल था. 

भारत सरकार कर रही मदद

भारत सरकार ने इस स्थिति पर अपनी चुप्पी नहीं साधी और अब तक इन अवैध प्रवासियों की वापसी को लेकर कई बार अपनी चिंता व्यक्त की है. भारत सरकार का कहना है कि यह भारतीय नागरिकों के लिए एक कठिन स्थिति है, लेकिन उनकी मदद करने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है.  अमेरिका के इस कदम से न केवल भारतीय प्रवासियों के लिए चिंता का कारण बना है, बल्कि यह भी एक संकेत है कि विदेशों में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के लिए अब पहले जैसा आसान नहीं है.