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Unnao Misdeed Survivor: उन्नाव पीड़िता को बेघर होने की आशंका, दिल्ली सरकार ने मकान मालिक को जुलाई से नहीं दिया है रेंट; जानें पूरा मामला

Unnao Misdeed Survivor: 2017 की उन्नाव रेप पीड़िता को जुलाई से बकाया किराया न चुकाने के कारण अपने दिल्ली आवास से बेदखल होना पड़ सकता है. पीड़िता की मदद के लिए कोर्ट के आदेशों के बावजूद, दिल्ली सरकार ने बकाया नहीं चुकाया है. गर्भवती और एक छोटे बच्चे के साथ, पीड़िता को अपनी सुरक्षा का डर है.

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Unnao Misdeed Survivor: 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता कुछ साल पहले राजधानी में रहने आई थी. अब पीड़िता को बेघर होने का डर सता रहा है, क्योंकि जुलाई से दिल्ली सरकार ने उसके मकान मालिक को न तो किराया दिया है, न बिजली की बिल भरा है. 23 साल की पीड़िता ने पिछले साल शादी की थी. एक बच्चे की मां पीड़िता 7 महीने की प्रेग्नेंट है. पीड़िता का कहना है कि उसका मकान मालिक बिजली काटने और उसे बेदखल करने की धमकी दे रहा है.

4 जून 2017 को उन्नाव में महिला के साथ गैंगरेप किया गया था, जब वह 16 साल की थी. 16 दिसंबर 2019 को पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अपराध का दोषी ठहराया गया और 20 दिसंबर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. कुलदीप सेंगर को ज्यूडिशियल कस्टडी में महिला के पिता की मौत के मामले में भी दोषी पाया गया.

अप्रैल 2018 को सीएम योगी के आवास के सामने किया था आत्मदाह का प्रयास

बलात्कार मामले में पुलिस की निष्क्रियता और उसके पिता को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किए जाने का हवाला देते हुए, पीड़िता ने 8 अप्रैल, 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर आत्मदाह करने का प्रयास किया था.
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में अपने एक कमरे के घर में पीड़िता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वो 2017 में राजधानी दिल्ली चली आई थी, क्योंकि उसे यूपी में अपनी जान को खतरा महसूस हुआ था, 28 जुलाई, 2019 को जिस कार में वो यात्रा कर रही थी, उसके दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे और उसके परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की. हादसे में पीड़िता की दो मौसी की मौत हो गई थी और एक वकील गंभीर रूप से घायल हो गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को लखनऊ की अदालत से दिल्ली की एक अदालत में ट्रांसफर कर दिया था और निर्देश दिया था कि रोजाना सुनवाई हो और इसे 45 दिनों के भीतर पूरा किया जाए. दिल्ली हाई कोर्ट ने सितंबर 2019 में दिल्ली महिला आयोग (DCW) को राजधानी में आवास दिलाने में पीड़िता और उसके परिवार की सहायता करने का निर्देश दिया था.

पीड़िता ने कहा कि कोर्ट के निर्देश के बाद मुझे पहले नांगलोई में अपनी मां के साथ आवास मुहैया कराया गया था. हालांकि, पिछले साल मैंने एक नई शुरुआत करने का फैसला किया. 29 मई, 2023 को मेरी शादी हो गई और मैंने अलग रहने के लिए अदालत की अनुमति ले ली. अपील के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट ने नवंबर 2023 में DCW को उसकी शादी और उसके पहले बच्चे, एक लड़की के जन्म को ध्यान में रखते हुए उसे अलग आवास प्रदान करने का निर्देश दिया.

किराए को लेकर WCD ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने कहा था कि पीड़िता और उसकी मां के कमरों का किराया और बिजली का बिल DCW को देना है. नाम न बताने की शर्त पर टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए आयोग के एक सदस्य ने बताया कि DCW दोनों घरों का किराया और बिजली का बिल चुकाने के लिए दिल्ली के महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) से फंड लेता है. बाद में यूपी सरकार उस राशि का भुगतान करती है. लेकिन, जब WCD, DCW को फंड देता है, तभी वे भुगतान कर सकते हैं.

भुगतान रोके जाने का कारण जानने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने WCD, DCW और AAP सरकार से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. पीड़िता ने कहा कि उसने कई बार WCD और DCW के दरवाजे खटखटाए, उनसे बकाया चुकाने के लिए कहा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

पीड़िता ने कहा कि फिलहाल, कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही है. मुझे अभी भी महीने में कम से कम पांच बार कोर्ट जाना पड़ता है. इसलिए, मैं दिल्ली नहीं छोड़ सकती. मुझे डर है कि अगर उसे जमानत मिल गई, तो मेरा परिवार खतरे में पड़ जाएगा. इसलिए, मैं सभी कार्यवाही में शामिल होने का प्रयास करती हूं. लेकिन अब मुझे डर है कि मैं यह घर खो सकती हूं. मेरे पति की आय बहुत कम है और वह हमारे लिए शहर में रहने के लिए पर्याप्त नहीं होगी.

किराया और बिजली बिल को लेकर मकान मालिक ने क्या कहा?

किराया और बिजली बिल की राशि सीधे घर के मालिक को दी जाती है. मकान मालिक ने बताया कि पहले भी भुगतान अनियमित था, लेकिन जुलाई से यह बंद हो गया है. उन्होंने कहा कि मैं पिछले कुछ महीनों से अपनी जेब से बिजली बिल का भुगतान कर रहा हूं. 

पीड़िता ने ये भी कहा कि उसे स्कील ट्रेनिंग देने करने के अदालत के आदेश के बावजूद कोई उचित प्रयास नहीं किए गए हैं. DCW को लिखे गए आवेदनों को दिखाते हुए उसने कहा कि जब यह घटना हुई तब मैं अशिक्षित थी. मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं औपचारिक शिक्षा प्राप्त करूंगी तो ही मुझे नौकरी और आगे बेहतर जीवन मिल सकता है.

पीड़िता ने अपनी 10वीं और 12वीं की राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) की डिग्री दिखाई. उसने कहा कि मैंने अंग्रेजी या कंप्यूटर कोचिंग में मदद के लिए कई बार DCW को लिखा है, लेकिन कुछ नहीं किया गया. क्या बलात्कार पीड़िता को बेहतर जीवन प्रदान करना अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं है? क्या मैं बहुत ज्यादा मांग रही हूं?