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IIT बॉम्बे को मिला सरप्राइज, पूर्व छात्र ने दिया 160 करोड़ का दान

आईआईटी बॉम्बे को 160 करोड़ रुपये का गुमनाम दान मिला है. यह चेक एक पूर्व छात्र की ओर से आया है, इस व्यक्ति ने अपनी अपनी गोपनीयता बनाए रखने को कहा है.

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Edited By: Mohit Tiwari
IIT बॉम्बे को मिला सरप्राइज, पूर्व छात्र ने दिया 160 करोड़ का दान

नई दिल्ली.  NIRF ranking 2023 में आईआईटी बॉम्बे का नाम भारत के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. वहीं, क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2023-24 में इस आईआईटी को वर्ल्ड लेवल पर 149 वां स्थान प्राप्त है. आईआईटी बॉम्बे को 160 करोड़ रुपये का गुमनाम डोनेशन चेक मिला है. यह चेक पूर्व छात्र की ओर से आया है, जो अपने बार में पूरी गोपनीयता बनाए रखना चाहता है. भारत के एक प्रतिष्ठित अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक संस्थान में पहली बार किसी ने गोपनीय तरीक से इतना बड़ा अमाउंट डोनेट किया है. 

IIT बॉम्बे के निदेशक सुभाशीष चौधरी ने कहा कि पहली बार हमें कोई गुमनाम दान मिला है. जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में यह दान का यह चलन आम है. उन्होंने कहा कि उनको नहीं लगता है कि भारत के किसी विवि को कोई ऐसा डोनेशन मिला है, जहां डोनर गुमनाम रहना चाहता है. उन्होंने कहा कि दान देने वालों को यह पता होता है कि जब वे  आईआईटी बॉम्बे को पैसा देते हैं तो इस धन का उपयोग कुशलतापूर्वक और सही जगह पर होता है.

कहां खर्च होगी यह रकम

संस्थान के निदेशक ने बताया कि यह दान ऐसे समय पर आया है, जब संस्था बजट में कटौती से प्रभावित हुई है और विस्तार के लिए उच्च शिक्षा वित्तीय एजेंसी (HEFA) से ऋण ले रही है. दान के रूप में मिली 160 करोड़ रुपये की धनराशि परिसर में ग्रीन एनर्जी एंड सस्टेनेबिलिटी रिसर्च हब (GESR) स्थापित करने में यूज की जाएगी. इसका एक हिस्सा नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और एक बड़ा हिस्सा अनुसंधान के लिए रखा जाएगा.

जीईएसआर हब बैट्री प्रौद्योगिकियों, सौर फोटोवोल्टिक्स, जैव ईंधन, स्वच्छ वायु विज्ञान, बाढ़ पूर्वानुमान और कार्बन कैप्चर सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान की सुविधा प्रदान करेगा. आईआईटी बॉम्बे कैंपस में ग्रीन हब उद्योग-अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करेगा और वैश्विक विश्वविद्यालयों और निगमों के साथ सहयोग विकसित करेगा. प्रोफसर चौधरी ने कहा कि इसका उद्देश्य हरित ऊर्जा और स्थिरता में उद्यमिता को बढ़ावा देते हुए व्यावहारिक और परिवर्तनकारी समधान को तलाशना है. आईआईटी बॉम्बे कैंपस में GSER एक अत्याधुनिक स्टेट ऑफ द आर्ट शैक्षणिक भवन के रूप में विकसित होगा. इस रिसर्च हब का फोकस, जलावायु जोखिमों का मूल्यांकन करना, प्रभावी शमन रणनीतियों का विकास, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और व्यापक पर्यावरण निगरानी शामिल होगी.  

नंदन नीलेकणि ने दिया था दान

अभी कुछ समय पहले इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने भी आईआईटी बॉम्बे को 315 करोड़ रुपये दान में दिया था. नंदन नीलेकणि IIT Bombay ही पूर्व छात्र है. उन्होंने यहां से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. वो साल 1973 में यहां से पास आउट हुए थे. आईआईटी बॉम्बे से जुड़ने के 50 साल पूरे होने पर उन्होंने यह दान दिया था. इसको लेकर निदेशक सुभाशीष चौधरी और नंदन नीलेकणि ने बेंगलुरू में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. यह दान में मिलने वाली अब तक की सबसे बड़ी रकम है. इससे पहले नीलेकणि ने आईआईटी को 85 करोड़ रुपये दान में दिए थे. वे अबतक कुल 400 करोड़ रुपये दान कर चुके हैं.