Constitution Debate: केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में भारतीय संविधान पर बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि संविधान को बनाए रखने में कुछ लोगों की भूमिका को छुपाने की कोशिशें की गई हैं. रक्षा मंत्री ने कहा, "संविधान निर्माण के काम को हथियाने और हड़पने के लिए हमेशा एक खास पार्टी द्वारा प्रयास किए गए हैं. अध्यक्ष महोदय, भारत में संविधान निर्माण के इतिहास से जुड़ी ये सारी बातें लोगों से छिपाई गई हैं."
26 नवम्बर 1949 को लोक सभा में हुई बहस भारतीय संविधान को अपनाए जाने का प्रतीक है. अपने भाषण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे संविधान को अपनी जेब में रखते हैं जबकि भाजपा नेता इसे अपने दिल में रखते हैं.
मंत्री ने कहा, "कांग्रेस की तरह हमने कभी भी संविधान को राजनीतिक लाभ के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया. हमने संविधान को जिया है. हमने एक सजग और सच्चे सिपाही की तरह संविधान के खिलाफ रची जा रही साजिशों का सामना किया है और संविधान की रक्षा के लिए बड़ी-बड़ी कठिनाइयां भी झेली हैं."
#WATCH | Speaking in Lok Sabha during discussion on the 75th anniversary of the adoption of the Constitution of India, Defence Minister Rajnath Singh says, "Many postcolonial democracies and their Constitutions did not last long. But the Indian Constitution, despite all the… pic.twitter.com/TZKDdTbp2n
— ANI (@ANI) December 13, 2024
राजनाथ सिंह ने वीर सावरकर का किया जिक्र
संविधान निर्माताओं को याद करते हुए जब राजनाथ सिंह वीर सावरकर का जिक्र किया तो विपक्षी सदस्यों में भारी हंगामा मच गया. भाषण में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.आर. खन्ना का भी उल्लेख किया गया, जिनके 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान असहमतिपूर्ण फैसले के कारण उन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद से हाथ धोना पड़ा था.
1973 में संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी
भाजपा नेता ने उन उदाहरणों का भी उल्लेख किया जहां उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को "तानाशाह सरकार की शक्तियों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर सीमित करने" की कोशिश करने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ी. उन्होंने कहा, "1973 में, सभी संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी करते हुए, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने न्यायमूर्ति जेएम शेलत, केएस हेगड़े और एएन ग्रोवर को दरकिनार कर चौथे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया था."