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वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए पेश हुआ बिल, समझिए क्यों मचा है हंगामा

आज लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को पेश कर दिया गया है. इस बिल को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया है. जिस पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है. कांग्रेस नेता के वेणुगोपाल ने कहा कि यह बिल संविधान के खिलाफ है. वहीं अखिलेश यादव ने इस बिल को लेकर कहा, 'भाजपा हताश, निराश और चंद कट्‌टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए यह बिल ला रही है'.

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Edited By: India Daily Live
kiran rijiju
Courtesy: Social Media

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने आज लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को पेश किया है. उनके बिल पेश करते ही संसद में हंगामा शुरू हो गया. इस बिल का कांग्रेस, सपा, NCP (शरद पवार) समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल राव ने कहा, 'सरकार कम्युनिटी के बीच में विवाद पैदा करना चाहती है.'

सपा सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा, 'वक्फ संशोधन बिल मुस्लिमों के हकों के खिलाफ है. यह बिल मजहब में दखलअंदाजी है'. वहीं वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करते हुए लोकसभा में NCP-SCP सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, 'मैं सरकार से अनुरोध करती हूं कि या तो इस विधेयक को पूरी तरह से वापस ले या इसे स्थायी समिति को भेज दें, कृपया परामर्श के बिना एजेंडा आगे न बढ़ाएं...'

वक्फ संशोधन बिल को लेकर लोकसभा में हंगामा जारी है. विपक्ष लगातार इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा, 'इस पर राजनीति की जा रही है, बातचीत चल रही है. विपक्ष हर चीज का विरोध करता रहेगा. प्रधानमंत्री इतनी अच्छी चीजें लेकर आए हैं, उन्हें सब गलत लगता है.'

'भाजपा हताश, निराश और चंद कट्‌टर समर्थकों..'

सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा,'यह बिल सोची समझी राजनीति के तहत पेश हो रहा है. वक्फ में गैर मुस्लिम को शामिल करने का औचित्य नहीं है. अगर आप जिलाधिकारी को ताकत दे देंगे तो गड़बड़ी होगी. भाजपा हताश, निराश और चंद कट्‌टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए यह बिल ला रही है.

वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती

वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन बिल पास होने के बाद वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा. अभी वक्फ के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है लेकिन इस बिल के आने से किसी भी जमीन पर दावा करने से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा. इससे बोर्ड की मनमानी पर रोक लगेगी. बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी. मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं, शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं.