नई दिल्ली: 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दिया है. चुनावी साल है तो जाहिर तौर पर चुनावी बात होगी और चुनावी माहौल बनेगा. चुनावी माहौल बनने के साथ-साथ चुनावी दलबदल का खेल भी शुरू हो जाएगा. राजनेताओं का इस दल से उस दल में शामिल होना कोई नई बात नहीं है. सभी राजनेताओं और सभी सियासी दलों की अपनी-अपनी कहानी है.
दलबदल और दागी नेताओं का एक दल से दूसरे दल में अपने सुविधानुसार शामिल होना अब सभी दलों की परिपाटी बन गयी है. दागी नेताओं के बीजेपी में शामिल होने को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का दिलचस्प बयान सामने आया है.
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में नितिन गडकरी ने दागी नेताओं के बीजेपी में शामिल होने पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि "लोकतंत्र में हमेशा से ही संख्याबल महत्वपूर्ण रहा है. इसलिए चुनाव में जीतने की राजनीति बहुत जरूरी होती है. जो जीतता है वही सिकंदर होता है तो कभी न कभी गठबंधन करना पड़ता है, अपनी ताकत बढ़ाने के लिए समझौते करने पड़ते हैं. हम भी अपने गठबंधन की ताकत बढ़ाना चाहते हैं. ये सब चलता रहता है. राजनीति मजबूरियों, सीमाओं और विरोधाभास का खेल है. अभी से नहीं बहुत शुरुआत से लोग एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आते जाते रहते हैं"
यह पहला मौका नहीं है जब नितिन गडकरी ने सियासत के तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी हो. इससे पहले भी तमाम मौकों पर नितिन गडकरी ने तमाम ऐसे बयान देकर बीजेपी आलाकमान को असहज स्थिति में डाला है. बीते साल नागपुर में नितिन गडकरी की ओर से दिया गया एक बयान काफी चर्चा में रहा था. उन्होंने नागपुर में कहा था कि मुझे लगता है कि मैं राजनीति छोड़ दूं. महात्मा गांधी के समय से राजनीति देश, समाज, विकास के लिए होती थी लेकिन अब राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए होती है.
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