Economic Survey: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश कर दिया है. बजट से ठीक पहले पेश किए जाने वाले इस दस्तावेज में मौजूदा वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है. वहीं, बजट में आने वाले साल का प्लान बताया जाता है. इकोनॉमिक सर्वे यानी आर्थिक सर्वेक्षण में यह बताया जाता है कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में कितने पैसे कहां से कमाए और उन्हें किस तरह से खर्च किया. साल 1964 से इसे पेश करने की शुरुआत हुई और तब से ही यह देश की इकोनॉमी की वास्तविक तस्वीर दिखाता आ रहा है. बता दें कि इसी से महंगाई, बेरोजगारी, कमाई और खर्च का भी पता चल जाता है. साथ ही, यह भी सामने आ जाता है कि किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है और उनके लिए सरकार क्या कर रही है.
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इकॉनोमिक सर्वे में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था में गैर कृषि क्षेत्र में हर साल 78.51 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है. आंकड़ों के मुताबिक, भारत की वर्कफोर्स लगभग 56.5 करोड़ है. इसमें से 45 पर्सेंट लोग कृषि क्षेत्र में, 11.4 मैन्युफैक्चरिंग में, 28.9 पर्सेंट सर्विसेज में और 13.0 पर्सेंट निर्माण क्षेत्र में हैं.
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वित्त वर्ष 2024 में उद्योगों को प्रमुख इनपुट सामग्रियों की बेहतर आपूर्ति के कारण मूल उपभोक्ता वस्तु मुद्रास्फीति में गिरावट आई. वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 23 के बीच उपभोक्ता वस्तु मुद्रास्फीति में प्रगतिशील वृद्धि के बाद यह एक स्वागत योग्य बदलाव था.
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इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, बीते 6 साल में भारतीय श्रम बाजार संकेतकों में सुधार हुआ है. 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है.
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इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा विनिर्माता है और शीर्ष पांच निर्यातक देशों में से एक है. वित्त वर्ष 2024 में हस्तशिल्प सहित कपड़ा और परिधान का निर्यात 1 प्रतिशत से बढ़कर ₹2.97 लाख करोड़ तक पहुंच गया.
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इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि तमाम कारकों जैसे कि वैश्विक समस्याएं, सप्लाई चेन में बाधा और मानसून के बावजूद महंगाई को अच्छे से नियंत्रित किया गया. सर्वे के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में 6.7 पर्सेंट रहने के बाद 2024 में महंगाई की दर 5.4 पर्सेंट पर आ गई.