Uniform Civil Code: उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश किया है. यह विधेयक कानून बना तो उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन जाएगा, जहां सभी धर्मों के लोगों पर तलाक, शादी जैसे मामलों में एक ही कानून लागू होगा.
यह विधेयक 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी के वादे का हिस्सा था. सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक पैनल ने इस विधेयक का मसौदा तैयार किया था.
लेकिन यह सवाल उठता है कि यह विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में ही क्यों पेश किया गया है. इसके जवाब में कहा जा रहा है कि यूसीसी भाजपा का अधूरा मुद्दा है. पहले ये प्रयोग भाजपा के प्रमुख वोटर आदिवासियों के विरोध के चलते संघर्ष कर रहा था लेकिन अब उत्तराखंड में ना केवल आदिवासियों को छूट दी गई है बल्कि वहां मुसलमान आबादी भी ज्यादा नहीं हैं. ऐसे में ये एक प्रयोग के तौर पर यहां लागू किया जा सकता है.
उत्तराखंड में, मुस्लिम आबादी लगभग 13% है, जो उत्तर प्रदेश की तुलना में थोड़ा कम है (6%). उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी शहरों में ज्यादा है. उत्तराखंड में, मुस्लिम आबादी मुख्य रूप से तराई के जिलों जैसे देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर में केंद्रित है. हल्द्वानी और अल्मोड़ा में भी मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति है.
हिंदू आबादी पूरे राज्य में फैली हुई है, मैदान से लेकर पहाड़ तक. मुख्य तौर पर उत्तराखंड हिंदुओं का गढ़ है जहां कई तीर्थस्थल हैं. ऐसे में ये प्रयोग यहां पर किया जा सकता है.
भाजपा देखना चाहती है कि इस पर कैसी प्रतिक्रिया होती है. इसके कानूनी पहलुओं के बारे में भी पता चलेगा. ये अदालत में मूल अधिकारों के सामने कैसे खड़ा होगा. यानी ये एक ऐसा प्रयोग है जिसके साथ ही ये बताने की कोशिश भी की जा रही है कि भाजपा इसे लेकर गंभीर हैं. उत्तराखंड एक छोटा राज्य है, जिसके कारण यूसीसी लागू करना आसान होगा.
यह सवाल कई लोगों के मन में है. बीजेपी दिखाना चाहती है कि उसने जो वायदे किए थे, उन्हें लेकर वह पूरी तरह गंभीर है. यह धारणाओं की लड़ाई है. ऐसे में एक माहौल बनाने की कोशिश है.
जानकारों के मुताबिक बीजेपी आगामी चुनाव पूरे दमखम से जीतना चाहती है. वह श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन कर रही है. वह विपक्षी दलों को चुनाव के लिए तैयार होने का वक़्त नहीं देना चाहती.