New Criminal Law: 1 जुलाई 2024 से पूरे भारत में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं. ये तीनों नए कानून पुराने आपराधिक कानूनों की जगह लेंगे. नए कानूनों को नाम हैं 1. भारतीय न्याय संहिता, 2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 3. भारतीय साक्ष्य अधिनियम. नए कानून लागू होते ही बहुत कुछ बदल जाएगा. इन बदलावों के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है. साथ ही साथ जनता को भी इन नए कानूनों से परिचित कराया जा रहा है.
1860 में ब्रिटिश काल में बने इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 लेगा. IPC में 511 धाराएं हैं वहीं, BNS में 358 धाराएं हैं. सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लेगा. CrPC में 484 धाराएं थीं वहीं, BNSS में 533 धाराएं हैं. भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लेगा. पहले इसमें 167 धाराएं थी अब बढ़कर 170 हो गई है. इन तीनों कानूनों में 10 ऐसे प्वाइंट्स क्या है जिसे जानना सभी के लिए जरूरी है आइए उन बिंदुओं को समझने की कोशिश करते हैं.
आपने विजय माल्या और मेहुल चौकसी जैसे भगोड़ों का नाम तो सुना ही है. पुराने कानून के तहत आरोपी के मौजूद होने पर ही ट्रायल शुरू हुआ करता था लेकिन अब ऐसे नहीं होगा. नए कानून के तहत आरोप तय होने के 90 दिन के बाद भी अपराधी कोर्ट में पेश नहीं होता तो भी ट्रायल शुरू हो जाएगा.
अगर आपके साथ किसी ने अपराध किया है तो आप देश के किसी भी पुलिस थाने में जीरो FIR दर्ज करा सकते हैं. मर्डर, रेप जैसे गंभीर आरोप में शून्य एफआईआर दर्ज होने से कानूनी कार्रवाई जल्द शुरू होगी. ऐसे में पीड़ित को जल्द से जल्द इंसाफ मिलेगा. इससे अपराध पर लगाम भी लगेगी. (BNS की धारा (173)
नए आपराधिक कानून के तहत बच्चों और महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध को प्राथमिकता देते हुए दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी. अगर महिलाओं और बच्चों के साथ कोई अपराध होता है और उन्हें चिकित्सा की जरूरत है तो सभी अस्पताल में उनका निशुल्क प्राथमिक उपचार किया जाएगा. (BNS की धारा 397)
नए आपराधिक कानूनों के तहत पीड़ित को पुलिस 90 दिनों के भीतर उसके मामले में क्या प्रगति हुई इसकी सूचना देगी. ये एक तरह से पीड़ित का अधिकार है. आप पुलिस ने 90 दिनों के भीतर नियमित अपडेट प्राप्त कर सकते है. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. यह बीएनएस की धारा 193 के तहत है.
अभी तक आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद उसके परिवार वालों को सूचित करना जरूरी नहीं समझा जाता था. लेकिन नए आपराधिक कानून के तहत उसके परिवार वालों या फिर गिरफ्तार व्यक्ति जिसे चाहता है उसे सूचित करने का अधिकार होगा. (BNS की धारा 36)
गंभीर मामलों में अब अपराध वाले स्थान पर जाकर फॉरेंसिक विशेषज्ञों को साक्ष्य को एकत्रित करना अनिवार्य है. इसके साथ ही साक्ष्यों को एकत्रित करते वक्त उसकी वीडियोग्राफी भी की जाएगी. इससे जांच में विश्वसनीयता मिलेगी.
नए आपराधिक कानूनों के तहत कोई भी व्यक्ति बिना पुलिस थाने जाए इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटना की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. घटनाओं का विवरण पाते ही पुलिस त्वरित कार्रवाई करेगी. यह बीएनएस की धारा 173 के तहत है.
नए आपराधिक कानून के तहत महिलाओं के विरुद्ध कुछ अपराधों में पीड़िता का बयान जहां तक संभव हो वह महिला मजिस्ट्रेट के सामने ही दर्ज कराए जाने चाहिए. अगर महिला मजिस्ट्रेट नहीं है तो किसी महिला की स्थिति में पुरुष की उपस्थिति में बयान दर्ज कराना होगा.
नए आपराधिक कानून के तहत अगर मुकदमा पूरा हो जाता है तो 45 दिनों के भीतर ही जज को फैसला सुनाना होगा. इसके अलावा पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना होगा. इससे न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी. क्योंकि साल बीत जाते हैं लेकिन मुकदमे का फैसला नहीं आ पाता. ऐसे में ये बदलाव बहुत महत्वपूर्ण है.
10. पुराने मुकदमे पुराने कानून और नए मुकदमे नए कानून के तहत
नए कानून लागू होने के बाद भी जो पुराने मुकदमे है वह पुराने कानून के तहत चलेंगे. 1 जुलाई के बाद दर्ज हुए मुकदमे नए आपराधिक कानूनों के तहत चलाए जाएंगे. इससे वकीलों और जजों का काम बढ़ जाएगा. उन्हें पुराने और नए दोनों आपराधिक कानूनों को याद रखना होगा.