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Chief Minister Oath: संवैधानिक पद के लिए जरूरी है शपथ, जानें नियम और प्रक्रिया

Chief Minister Oath:चुनावी क्लास में आज हम बताएंगे कि आखिरकार सीएम और उनके मंत्रियों को शपथ क्यों और किस बात की दिलाई जाती है? शपथ तोड़ देने पर किस तरह की सजा का प्रावधान है?

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Chief Minister Oath

हाइलाइट्स

  • संवैधानिक पद के लिए जरूरी है शपथ
  • जानें कैसे ली जाती है मुख्यमंत्री पद की शपथ

Chief Minister Oath: राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री, राज्यपाल के लेकर मुख्यमंत्री सभी को आपने शपथ लेते जरूर देखा होगा. शपथ लेने वाले को कई औपचारिकताओं का पालन करना होता है. ऐसे में जानते हैं कि किस तरह से पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है.

5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं. अब मुख्यमंत्रियों को लेकर चर्चा का माहौल है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी अभी तक मुख्यमंत्री का एलान नहीं कर पाई है. वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस के रेवंत रेड्डी आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. शपथ लेने का नियम क्या है अक्सर इस बात को लेकर बातें होती रहती है. 

चुनावी क्लास में आज हम बताएंगे कि आखिरकार सीएम और उनके मंत्रियों को शपथ क्यों और किस बात की दिलाई जाती है? शपथ तोड़ देने पर किस तरह की सजा का प्रावधान है? भारत के संविधान में शपथ ग्रहण को लेकर क्या नियम बनाए गए हैं?

केंद्र में राष्ट्रपति तो राज्य में राज्यपाल

सबसे पहले ये बात जान लीजिए कि सभी संवैधानिक पदों के लिए शपथ लेना जरूरी होता है. हर संवैधानिक पद के लिए शपथ का अलग प्रोटोकॉल होता है. प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों को शपथ देश के राष्ट्रपति दिलाते हैं, तो राज्य में मुख्यमंत्री और मंत्रियों को राज्यपाल.

प्रधानमंत्री शपथ लेने से पहले अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के नामों की लिस्ट राष्ट्रपति को सौंपते हैं और इसी आधार पर संभावित मंत्रियों को शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित किया जाता है. वहीं राज्यों में इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती है. नवनियुक्त मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों की लिस्ट राज्यपाल को सौंपते हैं और राज्यपाल उन्हें शपथ दिलाते हैं.

संविधान के अनुच्छेद 60, 69, 75, 124, 148, 159, 164, 188 और 219 में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने के विधान के बारे में स्पष्ट रूप से बताया गया है. इनमें देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, स्पीकर, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत अन्य पदों की शपथ का जिक्र है.


इस अनुच्छेद के तहत मुख्यमंत्री पद की ली जाती है शपथ

 

आज रेवंत रेड्डी तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. आने वाले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जाएगी. शपथ की बात करें तो भारतीय संविधान के आर्टिकल 164 में मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ को लेकर नियम तय किए गए हैं. शपथ का एक तय प्रारूप है जिसका जिक्र तीसरी अनुसूची में है . शपथ लेने वाले व्यक्ति को इसी प्रारूप के अनुसार ही पढ़ना होता है.

यदि कोई व्यक्ति शपथ लेने के दौरान शपथ के प्रारूप से भटक जाता है तो शपथ दिलाने वाले व्यक्ति यानी इस केस में राज्यपाल की जिम्मेदारी है कि वह शपथ लेने वाले व्यक्ति को रोककर उसे शपथ को सही तरीके से पढ़ने के लिये कहे. शपथ ग्रहण शपथ लेने वाले व्यक्ति के सिर्फ एक कार्यकाल के लिए होता है. अगर दोबारा कार्यकाल शुरू करना है तो फिर से शपथ लेना पड़ता है.

राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्रियों के शपथ संबंधी विवाद में राज्यपाल का अनुमोदन महत्त्वपूर्ण होता है. शपथ लेने के तुरंत बाद, जिस व्यक्ति ने शपथ ली है, उसे एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना होता है. रजिस्टर को राज्यपाल के सचिव द्वारा सत्यापित किया जाता है, जिसका अर्थ होता है कि इसे राज्यपाल द्वारा अनुमोदित किया गया है. इसके बाद यह अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित हो जाती है तथा शपथ की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है.

पद से हटाने के लिए भी है प्रावधान

संवैधानिक पदों के लिए शपथ लेने वाले लोग अगर पद और गोपनीयता की मर्यादा भंग करते हैं तो उन्हें हटाने की भी एक खास प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया को महाभियोग या इंपीचमेंट कहते हैं. इसमें किसी तरह का आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं होता लेकिन अगर इसमें गबन का मामला बनता है तो आपराधिक केस दर्ज हो सकता है और आगे की कार्रवाई की जा सकती है.