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Delhi Riots Case: 'त्वरित सुनवाई का अधिकार ‘मुफ्त पास’ नहीं', पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में अदालत से कहा

इस मामले में त्वरित सुनवाई की मांग की गई है, लेकिन दिल्ली पुलिस का यह स्पष्ट कहना है कि समय पर सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है. अदालत को इस मामले में फैसला लेना बाकी है कि क्या आरोपियों की जमानत याचिकाओं को मंजूरी दी जाएगी या नहीं. यह मामला यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत चल रहा है, जो देश की सुरक्षा से संबंधित गंभीर मामलों को कवर करता है.

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Edited By: Reepu Kumari
Delhi Riots Case
Courtesy: Pinterest

Delhi Riots Case: दिल्ली पुलिस ने बुधवार को उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों द्वारा दायर की गई जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि निचली अदालत में मामले की सुनवाई में किसी भी प्रकार की देरी कराने के लिए अभियोजन पक्ष जिम्मेदार नहीं है.

पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि त्वरित सुनवाई का अधिकार किसी भी आरोपी के लिए एक 'मुफ्त पास' नहीं हो सकता.

अभियोजन पक्ष की दलीलें और आरोपियों पर दोषारोपण

सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अदालत में दलील दी कि इस मामले में देरी के लिए आरोपी ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने किसी भी तरह से मामले में देरी करने का प्रयास नहीं किया और आरोपियों की ओर से ही कार्रवाई में विलंब हुआ है. उनका कहना था कि इन आरोपियों का लगातार अदालत के समक्ष पेश नहीं होना और कई कानूनी पहलुओं में जटिलताएं आना इस देरी का मुख्य कारण है.

सुनवाई का महत्व और भविष्य में संभावित परिणाम

इस मामले में त्वरित सुनवाई की मांग की गई है, लेकिन दिल्ली पुलिस का यह स्पष्ट कहना है कि समय पर सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है. अदालत को इस मामले में फैसला लेना बाकी है कि क्या आरोपियों की जमानत याचिकाओं को मंजूरी दी जाएगी या नहीं. यह मामला यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत चल रहा है, जो देश की सुरक्षा से संबंधित गंभीर मामलों को कवर करता है.

उम्मीद की जा रही है कि अदालत जल्द ही इस मामले में अपना निर्णय सुनाएगी, और यह देशभर के न्यायिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण केस बन सकता है.