गुरुवार को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं कहता हूं कि यह समय की मांग है कि देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता होनी चाहिए. हमने सांप्रदायिक नागरिक संहिता के तहत 75 साल बिताए हैं. अब हमें धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ना होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि देश एक ऐसे नागरिक संहिता की ओर बढ़े जो मौजूदा संहिता की तरह 'सांप्रदायिक' और 'भेदभावपूर्ण' न होकर 'धर्मनिरपेक्ष' हो.
कुछ दिनों बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शनिवार को कहा कि पीएम मोदी का ये कहना 'अत्यधिक आपत्तिजनक और अस्वीकार्य' है. बयान में कहा गया है, बोर्ड स्पष्ट शब्दों में यह कहना चाहता है कि यह मुसलमानों को स्वीकार्य नहीं है क्योंकि वे शरिया कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) के साथ कभी समझौता नहीं करेंगे.
बयान में आगे कहा गया है कि बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने एक प्रेस बयान में प्रधानमंत्री की धर्म आधारित पर्सनल लॉ को सांप्रदायिक करार देने और उनकी जगह धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लाने की घोषणा पर आश्चर्य व्यक्त किया है. इलियास ने कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश है जिसके गंभीर परिणाम होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त विधि आयोग के अध्यक्ष द्वारा की गई टिप्पणी को बरकरार रखना चाहिए, जिन्होंने 2018 में स्पष्ट रूप से कहा था कि, 'समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है.
इलियास ने कहा कि बोर्ड यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण समझता है कि भारत के मुसलमानों ने कई बार यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके पारिवारिक कानून शरिया पर आधारित हैं, जिससे कोई भी मुसलमान किसी भी कीमत पर विचलित नहीं हो सकता है और देश के विधानमंडल ने स्वयं शरीयत आवेदन अधिनियम 1937 को मंजूरी दी है और भारत के संविधान ने अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने प्रचार करने और उसका पालन करने को मौलिक अधिकार घोषित किया है.
उन्होंने कहा कि अन्य समुदायों के पारिवारिक कानून भी उनकी अपनी धार्मिक और प्राचीन परंपराओं पर आधारित हैं, तथा उनके साथ छेड़छाड़ करना और सभी के लिए धर्मनिरपेक्ष कानून बनाने का प्रयास करना मूलतः धर्म का निषेध और पश्चिम की नकल है. प्रधानमंत्री की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, मोदी केवल शरिया कानून को निशाना बना रहे हैं क्योंकि वह अन्य समूहों की नाराजगी को आमंत्रित नहीं करना चाहते हैं.