Sanjay Nirupam on Khichadi Scam: कांग्रेस से निकाले गए नेता संजय निरुपम ने सोमवार को कोविड महामारी के दौरान हुए कथित खिचड़ी घोटाले को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उल्लेखनीय है कि जब कोविड-19 वायरस देश में अपने चरम पर था और लाखों लोगों को अपना शिकार बना रहा था तो गरीब प्रवासियों के लिए सरकार की ओर से खिचड़ी खिलाने के लिए पैसे दिए गए थे.
हालांकि संजय निरुपम का दावा है कि इसमें घोटाला किया गया था और उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना के नेता संजय राउत को इस "खिचड़ी घोटाले" के सरगना हैं.निरुपम ने दावा किया कि संजय राउत ने अपने परिवार के सदस्यों और व्यापारिक साझेदारों के माध्यम से आरोपी कंपनी सह्याद्रि रिफ्रेशमेंट्स से रिश्वत ली.
4 सालों से क्यों बने हुए थे धृतराष्ट्र
संजय निरुपम ने इस पर बात करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए. वहीं निरुपम के इन आरोपों पर शिवसेना (यूबीटी) ने भी जवाब दिया और कहा कि ये महज पार्टी की छवि खराब करने की साजिश मात्र है. अगर सच में ऐसा कुछ तो कांग्रेस में रहते हुए संजय निरुपम पिछले 4 सालों से धृतराष्ट्र क्यों बने हुए थे, वो सिर्फ हमारी पार्टी की छवि खराब करना चाहते हैं और यही वजह है कि वो खुद को महाभारत का संजय साबित करने पर तुले हुए हैं.
शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने संजय निरुपम पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने बहुत जल्द ही बीजेपी की संस्कृति को सीख लिया थी और अब वो उसी को दोहरा रहे हैं. बीजेपी हमेशा से ही परिवार को आगे रखकर लोगों की छवि खराब करने की साजिश करती रही है और अब निरुपम भी वही कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'जब 20 मई को मुंबई में चुनाव होने वाले हैं तो वह (निरुपम) जानबूझकर अमोल कीर्तिकर और संजय राउत जैसे हमारे नेताओं की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. वह चार साल पुराने मामले का मुद्दा उठा रहे हैं. जब कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया था तो वह हर पार्टी के पास टिकट के लिए घूम रहे थे और जब कोई बात नहीं बनी, तो अब वह शिवसेना की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं.'
उल्लेखनीय है कि संजय निरुपम ने पिछले हफ्ते महावविकास अघाड़ी की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) को मुंबई की सीटें मिलने पर टॉप लीडरशिप पर चौतरफा हमला बोला था जिसके बाद पिछले हफ्ते के आखिर में कांग्रेस ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था.
संजय निरुपम ने संजय राउत पर घोटाले की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीएमसी ने सह्याद्रि रिफ्रेशमेंट को कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के चरम पर फंसे प्रवासियों के लिए 35 रुपये प्रति प्लेट पर 300 ग्राम 'खिचड़ी' उपलब्ध कराने का ठेका दिया था. बदले में, सह्याद्रि रिफ्रेशमेंट्स ने एक अन्य पार्टी को एक सब कॉन्ट्रैक्ट दिया जो 16 रुपये प्रति प्लेट पर 100 ग्राम ‘खिचड़ी’ की आपूर्ति करता. इसका मतलब यह हुआ कि गरीबों, फंसे हुए, प्रवासियों के लिए बनाई गई 200 ग्राम 'खिचड़ी' संजय राउत और उनके सहयोगियों की ओर से 'चोरी' कर ली गई.
निरुपम ने दावा किया है कि सह्याद्रि रिफ्रेशमेंट्स द्वारा जारी किए गए कई चेक, जिनकी राशि लगभग एक करोड़ रुपये है, को मई 2020 से जनवरी 2021 के बीच अलग-अलग तारीखों पर राउत की बेटी और उनके भाई के साथ-साथ एक बिजनेस पार्टनर के बैंक खातों में जमा किया गया था.