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महाराष्ट्र में जीबीएस के दो और मामले सामने आए, कुल संख्या 205 हुई

महाराष्ट्र में दो और लोगों में ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस)’ की पुष्टि होने के साथ ही यहां इस विकार के मामलों की संख्या 205 तक पहुंच गई है. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि पुष्ट मामलों की संख्या 177 है, जिनमें से 20 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया हैं.

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Edited By: Anvi Shukla
gbs syndrome
Courtesy: social media

महाराष्ट्र में गुइलैन-बारे सिंड्रोम (GBS) के दो और मामलों की पुष्टि हुई है, जिससे राज्य में इस बीमारी के मामलों की कुल संख्या 205 तक पहुँच गई है. यह बीमारी एक गंभीर तंत्रिका तंत्र रोग है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में कमजोरी और संवेदनहीनता का कारण बनता है. इसका उपचार समय पर करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह जल्दी से शरीर के मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है.

महाराष्ट्र में GBS के मामलों की संख्या में वृद्धि चिंताजनक है. स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि पुष्ट मामलों की संख्या 177 है, जिनमें से 20 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. इसके अलावा, इस बीमारी से आठ लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में इस विकार के अधिकतर मामले पुणे में सामने आए हैं.

GBS क्या है?

गुइलैन-बारे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, खासकर मांसपेशियों और नसों पर. यह बीमारी आमतौर पर एक वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद उत्पन्न होती है और इसके लक्षणों में शरीर में कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और चलने में कठिनाई शामिल होती है. अगर इलाज में देर हो जाए तो यह पूरी तरह से लकवा भी बना सकता है.

महाराष्ट्र में GBS के बढ़ते मामले:

महाराष्ट्र में हाल ही में GBS के मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है. राज्य में पहले भी कुछ GBS के मामलों की पुष्टि हुई थी, लेकिन अब इन मामलों में और वृद्धि हो रही है. नए मामलों के बाद, स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्थिति पर कड़ी नजर रखना शुरू कर दिया है.  महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि GBS के मामलों की निगरानी के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है. विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी असामान्य लक्षण के लिए चिकित्सीय सहायता लें और बीमारी के संकेतों को नजरअंदाज न करें. 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि GBS की संभावना को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है. वे यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहे हैं कि रोगियों को समय पर उपचार मिले और बीमारी का प्रभाव सीमित किया जा सके. इसके अलावा, विभाग ने अस्पतालों में GBS के उपचार के लिए पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.

महाराष्ट्र में GBS के मामलों में बढ़ोतरी चिंताजनक है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए गए कदमों से उम्मीद जताई जा रही है कि स्थिति जल्द नियंत्रण में आ सकती है. नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वे किसी भी लक्षण के बारे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि उपचार समय पर हो सके.