Tirupati Laddu Case: तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और फिश ऑयल के कथित यूज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा है कि क्या राज्य द्वारा नियुक्त एसआईटी को जांच जारी रखनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करानी चाहिए. मामले की सुनवाई अब गुरुवार को दोपहर 3.30 बजे होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री का प्रेस में जाकर बयान देना उचित नहीं था. कोर्ट ने कहा कि अगर प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल नहीं किया गया तो विवाद बेमानी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाद आस्था से जुड़ा है और लोगों को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद की जांच के लिए नियुक्त एसआईटी से कहा कि वह जांच आगे न बढ़ाए और संकेत दिया कि जांच केंद्र द्वारा फिर से नियुक्त एसआईटी को सौंप दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद पर आंध्र प्रदेश के सीएम द्वारा दिए गए बयान की खिंचाई की, जिसमें यह पुष्टि नहीं हुई थी कि प्रसाद बनाने के लिए मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था.
न्यायमूर्ति गवई ने पूछा कि आपने एसआईटी का आदेश दिया. परिणाम आने तक प्रेस में जाने की क्या आवश्यकता है? आप हमेशा से ही ऐसे मामलों में पेश होते रहे हैं...यह दूसरी बार है. जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं, तो आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि आप...हम उम्मीद करते हैं कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाएगा.
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पूछा कि जब तक आप सुनिश्चित नहीं थे, आप इस बारे में जनता के सामने कैसे गए? जांच का उद्देश्य क्या था?
इस दौरान आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील रोहतगी ने कहा कि ये याचिकाएं वास्तविक नहीं हैं, बल्कि केवल मौजूदा सरकार पर हमला करने के लिए हैं. डॉक्टर स्वामी की याचिकाएं स्पष्ट रूप से ये दर्शाती हैं. वहीं, वकील राजशेखर राव ने कहा कि मामले की निगरानी की जरूरत है.
स्वामी के लिए सीनियर वकील राजशेखर राव ने खुद को भक्त बताते हुए कहा कि ये भी चिंता का विषय है. संदूषण (Contamination) के बारे में प्रेस में दिए गए बयान के दूरगामी प्रभाव हैं और इससे कई अन्य मुद्दे उठ सकते हैं तथा सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है. डॉ. स्वामी का मामला ये है कि बाद में बताया गया कि उस घी का कभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया था, तो फिर राज्य को इसमें किस हद तक हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जानी चाहिए? और सार्वजनिक डोमेन में मौजूद सामग्री दर्शाती है कि उस घी का इस्तेमाल नहीं किया गया था और उसे तिरुमाला से वापस कर दिया गया था. मामले और इसकी संवेदनशीलता के कारण दिए गए बयानों के कारण इसकी निगरानी की आवश्यकता है. क्या उनके पास ऐसा करने के लिए विश्वसनीय आधार था? फिर टीटीडी क्या प्रक्रिया अपनाता है?
यदि देवता के प्रसाद पर कोई प्रश्नचिह्न है तो इसकी जांच की जानी चाहिए? अब उस बयान के साथ क्या वे स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कर सकते हैं? किसी को बयान के निर्माण पर जवाब देना होगा, क्योंकि पहली नजर में सीएम का बयान नकारा गया है.
जब सुनवाई का समय दोपहर एक बजे निर्धारित हुआ तो जस्टिस बीआर गवई ने मजाक में कहा कि उम्मीद है कि हमें दोपहर के भोजन में लड्डू नहीं खाने पड़ेंगे. सुनवाई शुरू होने से पहले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के प्रसादम लड्डू में मिलावट के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) टीटीडी की कार्यकारी अधिकारी (ईओ) जे श्यामला राव के आवास पर पहुंची.
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एनडीए विधायक दल की बैठक के दौरान आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती वाईएसआरसीपी सरकार ने श्री वेंकटेश्वर मंदिर को भी नहीं छोड़ा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु वसा का इस्तेमाल किया. इन आरोपों ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया, जिससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत हुईं. टीटीडी तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर का आधिकारिक संरक्षक है.
एक अन्य याचिका में तिरुपति तिरुमाला मंदिर में घी में घटिया सामग्री और पशु वसा के आरोपों की स्वतंत्र जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की प्रत्यक्ष निगरानी में एक समिति की नियुक्ति या अन्य विशेषज्ञों के साथ एक सेवानिवृत्त एससी न्यायाधीश की नियुक्ति की मांग की गई है. इस बीच, आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में मिलावट की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.
वकील सत्यम सिंह की ओर से दायर याचिकाओं में से एक में पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक समिति के गठन या कथित "तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ट्रस्ट की आपराधिक साजिश और कुप्रबंधन" की सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) द्वारा जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि धार्मिक रीति-रिवाजों का गंभीर उल्लंघन हुआ है क्योंकि जांच में परेशान करने वाले तथ्य सामने आए हैं कि मांसाहारी उत्पाद, विशेष रूप से पक्षी का मांस (कोली), पशु वसा, 'लार्ड' (सूअर की चर्बी), मछली का तेल और अन्य अशुद्धियों की उपस्थिति 'प्रसादम' की तैयारी में इस्तेमाल की गई थी.
इसमें कहा गया है कि ये कृत्य न केवल हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, बल्कि उन असंख्य भक्तों की भावनाओं को भी गहरा आघात पहुंचाता है जो 'प्रसादम' को एक पवित्र आशीर्वाद मानते हैं. इस स्थिति की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह हमारी धार्मिक प्रथाओं और मान्यताओं के मूल पर प्रहार करता है.
इसके अलावा, इसने कहा कि तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर में हाल ही में हुई घटना संविधान के अनुच्छेद 25 का गंभीर उल्लंघन है, जो धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है.