नई दिल्ली: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या दुल्हन की तरह सजधज कर तैयार है. कण-कण में बसे राम की अनुभूति हर अयोध्यावासियों के साथ भारतवासियों के प्राणों को स्पंदित करता है. जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा की तारीख नजदीक आ रही है. वैसे-वैसे भारत में राम के उत्सव का समागम देखने को मिल रहा है. ऐसे में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनना हर भारतवासी की हृदय की उत्कंठा है.
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में तैयारियां जोरों पर है. राम जी के ननिहाल छत्तीसगढ़ से तीन हजार क्विंटल चावल आने वाला है तो वहीं उनकी ससुराल नेपाल के जनकपुर से कपड़े,आभूषण, बर्तन, फल, मेवा और मिठाइयों के साथ-साथ उपहारों से सजे 1100 थाल आने वाले हैं.
वहीं अगर यूपी की बात की जाएं तो एटा जिले से रामलला के दरबार में अष्टधातु का 21 किलो का घंटा पहुंचेगा. जिसकी लागत 25 लाख रुपये है और इस घंटे की चौड़ाई 15 फुट और अंदर की चौड़ाई 5 फुट है. इसका वजन 2100 किलो है. इसे बनाने में एक साल का समय लगा है. अष्टधातु घंटा बनाने वाले कारीगर का दावा है कि यह देश का सबसे बड़ा घंटा है.
वहीं गुजरात के वडोदरा से 108 फीट लंबी अगरबत्ती अयोध्या भेजी जा रही है. इसे पंचगव्य और हवन सामग्री के साथ गाय के के गोबर से बनाया गया है. जिसका वजन 3500 किलो बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि वडोदरा से अयोध्या पहुंच रही इस अगरबत्ती की लागत पांच लाख से ऊपर है और इसे बनाकर तैयार करने में 6 महीने का समय लगा है. सबसे रोचक बात यह है कि इस अगरबत्ती को वड़ोदरा से अयोध्या के लिए 110 फीट लंबे रथ में भेजा जाएगा. अगरबत्ती बनाने वाले विहा भरवाड़ ने इस अगरबत्ती के बारे में अहम जानकारी साझा करते हुए बताया कि एक बार इसे जलाने पर ये डेढ़ महीने तक लगातार जलती रहेगी.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान की चरण पादुकाएं भी गर्भगृह में स्थापित की जाएगी. फिलहाल भगवान राम की ये चरण पादुकाएं देशभर में घुमाई जा रही हैं. मिली जानकारी के मुताबिक यह प्रभु राम की चरण पादुकाएं प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगी. इन चरण पादुकाओं को हैदराबाद के श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने तैयार किया है. श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने इन श्रीराम पादुकाओं के साथ अयोध्या की 41 दिनों की परिक्रमा की थी. इसके बाद इन पादुकाओं को रामेश्वरम से बद्रीनाथ तक सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ले जाया जा रहा है और विशेष पूजा-अनुष्ठान किया जा रहा है.