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'मां की लाश आगरा में, भाभी की लाश हाथरस, भतीजी की अलीगढ़..मेरा तो परिवार ही खत्म हो गया'

Hathras Satsang Accident : हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ में करीब 122 लोगों की मौत हो गई है. इस हादसे में सोखना गांव निवासी प्रताप सिंह ने अपने परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया है. प्रताप बतातें है कि उनका पूरा परिवार खत्म हो गया है. हादसा इतना भयावह था कि प्रताप को उनके परिवार के तीनों लोगों की लाश भी एक जगह से नहीं मिली. सभी लाशें अलग-अलग जिलों से देर रात उनके घर पहुंची.

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Edited By: India Daily Live
Hathras accident
Courtesy: Social Media

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ में करीब 122 लोगों की मौत हो गई है. किसी को जरा भी शंका नहीं था कि वे लोग जहां बैठे हैं, वे उनके लिए मौत का अड्डा बनने वाला है. ये मौत का सत्संग होने वाला है इसका किसी को एहसास भी नहीं हुआ होगा. आज हाथरस की तस्वीर देख आप भी कांप जाएंगे. लाशों का अंबार आम लोगों से लेकर डॉक्टर तक को डरा रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि इस सत्संग में हुई मौतों की तस्वीर कोरोना काल से भी भयावह है. चारों ओर चीख पुकार, रोते हुए लोगों की तस्वीरें देखकर आप सन्न हो जाएंगे. जहां यह सत्संग हो रहा था वहां आस पास के इलाकों से ज्यादातर लोग शामिल हुए थे. इसी सत्संग में अपने परिवार को खो चुके प्रताप सिंह अब विधाता से एक ही सवाल कर रहे हैं कि अब वे कैसे रहेंगे, उनका भाई कैसे रहेगा,जिसके तीन छोटे, दुधमुंहे बच्चे हैं.

हाथरस के सोखना गांव निवासी प्रताप सिंह ने जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मंगलवार, 2 जूलाई का दिन उनके जीवन को तहस नहस कर देगा. प्रताप का वह दिन भी हर दिन के भाति शुरू होता है, वह सुबह-सुबह काम पर निकल जाता है लेकिन उसे नहीं पता था कि उसकी बुजुर्ग मां, नौ साल की भतीजी सहित दो अन्य परिवार के लोग सत्संग सुनने के लिए निकल जाएंगे.

'मेरी मां, भाभी और भतीजी सब आपस में बिछड़ गए थे...'

प्रताप बताया, 'दोपहर करीब 3 बजे फोन बार-बार बजने लगा. कुछ कॉल को तो अनदेखा कर दिया और जब एक कॉल उठाया तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई.  मेरी 70 वर्षीय मां, दो भाभियां और एक नौ साल भतीजी भोले बाबा के सत्संग में शामिल होने गई थी लेकिन कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ मच गई है, कोई भी नहीं मिल रहा. परिवार के सभी लोग आपस में बिछड़ गए है. इतना कहते ही फोन कट हो गया'. प्रताप आगे बताते हैं कि फोन कटने के तुरंत बाद वह खुद मैं उस जगह पर पहुंचकर अपनों की तलाश करने लगा.

'मैं सड़कों, अस्पतालों में दौड़ा लेकिन मुझे..'

सिंह ने कहा, 'मैं सड़कों, अस्पतालों में दौड़ा लेकिन मुझे नहीं पता चला कि वे तीनों लोग कहां हैं. मैं वहां मौजूद हर एक व्यक्ति से तीनों की तस्वीर दिखा कर पूछ रहा था लेकिन मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया. सब कोई अपनों को खोज रहे थे. तो कई शवों से लिपट कर रो रहे थे. इस दौरान घटनास्थल पर तीनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली'. 

'मेरा तो परिवार ही खत्म हो गया...'

प्रताप आगे बताते, 'हादसे वाली रात को मेरे गांव के एक व्यक्ति ने फोन कर बताया कि मेरी मां की तस्वीर वॉट्सऐप पर मिली है. वह आगरा के अस्पताल में भत्ती में है. जिसके बाद मुझे उम्मीद की किरण दिखी लेकिन जल्द ही उस व्यक्ति ने फोन करके बताया कि सरकारी एंबुलेंस उनकी बॉडी लेकर आ रही है. उसी शख्स ने बताया कि मेरी भतीजी भूमि का शव अलीगढ़ और मेरी भाभी का शव हाथरस में मिला है. मेरा पूरा परिवार ही खत्म हो गया है. मेरे भाई के तीन बच्चे हैं, अब वह कैसे जिंदा रहेंगे.'

किसी का फटा लिवर, किसी की टूटी हड्डी

बता दें कि इस घटना के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाथरस पहुंचकर घायलों से मुलाकात की. वहीं बुधवार शाम तक भगदड़ में मरने वाले 21 लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है. इसमें ज्यादातर लोगों की मौतें दम घुटने से हुई है. कुछ लोगों के सीने में खून जम गया था. किसी का लीवर फट गया था तो किसी के गले पर पैर पड़ने की वजह से जान चली गई.