Manipur Violence: मणिपुर हिंसा मामले में तीन जजों की कमेटी ने SC को सौंपीं रिपोर्ट्स, क्या है इन रिपोर्ट्स में? जानें

Manipur Violence: मणिपुर में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) द्वारा 3 मई को निकाली गई एक रैली के बाद हिंदू मैतेई और आदिवासी कुकी (जो ईसाई हैं) समुदाय के बीच हिंसा भड़क गई थी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह हिंसा ग्रस्त मणिपुर में राहत कार्य, पुनर्वास, मुआवजा और उपचार की देखरेख के लिए रिटाटर्ड जज गीता मित्तल की देखरेख में बनाई गई कमेटी के समुचित कार्यन्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए शुक्रवार को आदेश जारी करेगा.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक बैंच ने कहा कि कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को तीन रिपोर्ट सौंप दी हैं. मणिपुर हिंसा के मामलों की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि प्रशासनिक सहायता, कमेटी के वित्तीय खर्चों को पूरा करने आदि के लिए कुछ प्रक्रियात्मक निर्देश देने की आवश्यकता होगी. कोर्ट ने कहा कि कमेटी द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट अधिवक्ताओं को दी जाएं. 

क्या है इन रिपोर्ट्स में

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह रेखांकित किया है कि मणिपुर में हुई जातीय हिंसा के कारण पीड़ितों के आवश्यक दस्तावेज खो गए हैं जिन्हें दोबारा जारी किया जाए.

इसमें आगे कहा गया है कि हिंसा के पीड़ितों के लिए मुआवजे की स्कीम को अपडेट किया जा और  डोमेन एक्सपर्ट की नियुक्ति के लिए कमेटी के प्रस्ताव को भी रखा जा सकता है.

रिपोर्ट्स की समीक्षा करने के बाद बेंच ने रेखांकित किया कि कमेटी ने मुआवजे, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, राहत कैंप, डाटा रिपोर्टिंग और मॉनीटरिंग आदि जैसे कई प्रमुखों के तहत मामलों को विभाजित किया था. बेंच शुक्रवार को मामलों पर आदेश जारी करेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने किया था तीन पूर्व जजों की कमेटी का गठन

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के तीन पूर्व जजों की एक कमेटी का गठन किया था जिसमें जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश  गीता मित्तल, बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जज शालिनी फानसल्कर, और दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन शामिल हैं.

कोर्ट ने मणिपुर में राहत, पुनर्वास, मुआवजा, स्वास्थ्य, घरों और पूजा स्थलों की बहाली जैसे मानवीय पहलुओं की देखरेख के लिए इस कमेटी का गठन किया था.

मणिपुर में 3 मई को भड़क उठी थी हिंसा

गौरतलब है कि मणिपुर में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) द्वारा 3 मई को निकाली गई एक रैली के बाद  हिंदू मैतेई और आदिवासी कुकी (जो ईसाई हैं) समुदाय के बीच हिंसा भड़क गई थी.

इस हिंसा ने पूरे राज्य को अपनी जद में ले लिया था और अब तीन महीने बीत जाने के बाद भी वहां हिंसा का दौर जारी है. हालातों को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे राज्य में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है.

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