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दिल्ली में नहीं होगा कोई मुस्लिम मंत्री? BJP की सरकार में अल्पसंख्यक समुदाय की कितनी होगी भागेदारी

कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार के 15 साल के कार्यकाल में मुस्लिम समुदाय से हारून यूसुफ मंत्री रहे थे. आम आदमी पार्टी की सरकार में इमरान हुसैन को मंत्री बनाया गया. दोनों पार्टी ने मुस्लिम समुदाय से चेहरा रखा.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Delhi bjp
Courtesy: Social Media

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने भारतीय राजनीति के एक नए अध्याय की शुरुआत की है लगभग 27 साल बाद, भारतीय जनता पार्टी  ने दिल्ली में शानदार जीत हासिल की है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) केवल 22 सीटों तक ही सीमित रह गई और कांग्रेस तो इस चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई बीजेपी ने कुल 48 सीटों पर विजय प्राप्त की और सत्ता की कुर्सी पर फिर से काबिज होने जा रही है 

इस चुनाव में एक प्रमुख और ध्यान आकर्षित करने वाली बात यह रही कि बीजेपी की 48 में से किसी भी सीट पर मुस्लिम समुदाय से कोई उम्मीदवार नहीं था यह स्थिति दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाती है हालांकि बीजेपी की इस जीत में पार्टी के संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व की सराहना की जा रही है, लेकिन इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि दिल्ली सरकार में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व एक बार फिर गायब रहेगा.

कांग्रेस-AAP सरकार में भागेदारी

कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार के 15 साल के कार्यकाल में मुस्लिम समुदाय से हारून यूसुफ मंत्री रहे थे. आम आदमी पार्टी की सरकार में इमरान हुसैन को मंत्री बनाया गया. दोनों पार्टी ने मुस्लिम समुदाय से चेहरा रखा, लेकिन बीजेपी ने कोई चेहरा नहीं रखा. बीजेपी पंजाबी या सिख समुदाय से किसी को मंत्री पद दे सकती है. 

अल्पसंख्यक समुदाय के मंत्री

पार्टी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी दिल्ली के अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा, राजकुमार भाटिया, हरीश खुराना, तरविंदर सिंह मारवाह या फिर अरविंदर सिंह लवली को मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है. इससे पहले बीजेपी ने साल 1993 से 1998 के अपने शासन के दौरान पंजाबी या सिख समुदाय से जीतने वाले चेहरे को कैबिनेट में जगह दी थी. 

दिल्ली में मुस्लिम समुदाय का महत्वपूर्ण स्थान है, और इस समुदाय के बिना किसी राज्य सरकार का गठन आमतौर पर कम ही देखा जाता है ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या दिल्ली में मुस्लिमों के लिए अपनी आवाज उठाने और उनके हितों की रक्षा करने के लिए कोई प्रभावी उपाय किए जाएंगे? क्या आगामी सरकार मुस्लिम समुदाय की समस्याओं को प्राथमिकता देगी या फिर उसे अनदेखा किया जाएगा?