राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विवादित राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर बहस के दौरान दी गई अपमानजनक टिप्पणी ने राज्यसभा में भारी हंगामा मचा दिया. इस दौरान भाजपा सांसदों ने खड़गे पर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया, जिसका दावा उन्होंने अध्यक्ष के लिए किया था, कांग्रेस प्रमुख ने स्पष्ट किया कि यह सरकार की नीतियों पर निर्देशित था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने टिप्पणी के लिए माफ़ी भी मांगी, जिसका मोटे तौर पर अनुवाद "किसी को बाहर निकालना" होता है. हालांकि, बाद में इसे राज्यसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया.
जानिए क्या है पूरा मामला?
जैसे ही राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू हुई, विपक्ष ने एनईपी में तीन-भाषा नीति पर विवाद के बीच डीएमके सांसदों पर उनके "असभ्य" प्रहार के लिए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से माफ़ी मांगने की मांग की. इस शोरगुल के बीच उपसभापति हरिवंश ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को चर्चा शुरू करने के लिए बुलाया. हालांकि, खड़गे ने शिक्षा मंत्री की टिप्पणी को उठाने के लिए हस्तक्षेप किया. ऐसे में हरिवंश ने जब मल्लिकार्जुन खड़गे को बैठने के लिए कहा तो उन्होंने कहा, "यह तानाशाही है.
मोदी सरकार देश को तोड़ने की बात कर रही- खड़गे
दरअसल, संसद सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,'मेरे को ये कहना है कि इस देश के एक भाग को, एक भाग की जनता को, अगर आप उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने की बात करेंगे. अगर आप ये कहेंगे कि वो "Uncultured और Uncivilized हैं", तो आप मंत्री से इस्तीफ़ा लो ! मोदी सरकार देश को Divide करने की बात कर रही है. ये देश को तोड़ने की बात कर रहे हैं.
खड़गे की टिप्पणी निंदनीय और असंसदीय- जेपी नड्डा
कांग्रेस प्रमुख ने इसके बाद अनौपचारिक हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हुए संकेत दिया कि विपक्ष एनईपी के मुद्दे पर सरकार को घेर लेगा, जिससे सत्ता पक्ष में हंगामा शुरू हो गया. सदन के नेता जेपी नड्डा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि खड़गे की टिप्पणी निंदनीय और असंसदीय है. हालांकि, हंगामा जारी रहने पर खड़गे ने उपसभापति से माफ़ी मांगी. उन्होंने कहा, "मैंने अध्यक्ष के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया. अगर उपसभापति को मेरे शब्दों से ठेस पहुंची है तो मैं माफ़ी मांगता हूं. लेकिन मैं सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहा था.