शौक की कीमत काफी भारी होती है. एक शख्स ने ताव में गाड़ी के VVIP 0001 नंबर के 23.4 लाख रुपये की बोली लगा दी. इस पैसे में दो हैचबैक या एक एसयूवी खरीदी जा सकती थी. हालांकि शख्स ने स्टेटस सिंबल के लिए इस नंबर के लिए 23 लाख रुपये चुकाए. दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि 0001 को मार्च में चौंकाने वाली बोली मिली, जो इस साल जून तक सभी मासिक नीलामी में सबसे अधिक थी.
खरीदार का विवरण साझा किया गया, लेकिन उस शख्स के बारे में जानकारी नहीं दी गई. दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 0009 सूची में दूसरे स्थान पर था, जो जून में 11 लाख रुपये में बिका, जबकि 0007 नंबर नीलामी में 10.8 लाख में बिका. 23.4 लाख रुपये की बोली 0001 नंबर के लिए आधार मूल्य 5 लाख रुपये से काफी अधिक थी.
परिवहन विभाग का दावा है कि ऐसे नंबर को अक्सर राजनेता, मंत्री और शीर्ष नौकरशाह छीन लेते हैं. एक परिवहन अधिकारी ने बताया कि ई-नीलामी में और राजनेताओं के बीच 0001 सबसे अधिक मांग वाला नंबर था. यह एक स्टेटस सिंबल है. इसी तरह, 0007 के लिए भी ऊंची बोली लगती है क्योंकि सुपरस्पाई जेम्स बॉन्ड और क्रिकेट आइकन महेंद्र सिंह धोनी के साथ इसका जुड़ाव होने के कारण यह फैशन बन गया है. विभाग ने जनवरी की नीलामी में 0002 के लिए 5.1 लाख रुपये हासिल किए थे. 0002 से 0009 नंबरों के लिए न्यूनतम आरक्षित मूल्य 3 लाख रुपये, 0010 से 0099, 0786, 1000, 1111, 7777 और 9999 के लिए 2 लाख रुपये, 0100, 0111, 0300, 0333 नंबरों के लिए 1 लाख रुपये है.
1 लाख रुपये या उससे ज़्यादा के आरक्षित मूल्य वाले पंजीकरण नंबरों के लिए महीने के पहले हफ़्ते में ई-नीलामी होती है और अन्य पंजीकरण नंबरों के लिए हर हफ़्ते नीलामी होती है. अधिकारी ने बताया कि नीलामी श्रेणी में शामिल नहीं होने वाले पंजीकरण नंबर, लेकिन किसी व्यक्ति द्वारा किसी सीरीज़ में नंबरों के कालानुक्रमिक क्रम को बदलकर मांगे जाने वाले नंबर का आधार मूल्य 25,000 रुपये होता है.
VVIP नंबरों के लिए यह क्रेज क्यों बढ़ रहा है इस पर एक अधिकारी जो इनमें से कुछ नीलामी का हिस्सा रहे हैं, ने कहा कि स्टेटस वैल्यू, अंक ज्योतिष, अंधविश्वास, जन्मतिथि और भाग्यशाली माने जाने वाले नंबर ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से लोग इनके लिए पैसे देने को तैयार हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कई कारों वाले लोग अक्सर अपने सभी वाहनों के लिए एक विशिष्ट पैटर्न से चिपके रहना चाहते हैं. प्रतिष्ठित पंजीकरण नंबरों की ऑनलाइन ई-नीलामी 2014 में शुरू हुई थी. यह परिवहन विभाग की ओर से दिल्ली परिवहन अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड द्वारा संचालित की जाती है.