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"चयन समिति के प्रस्ताव में सांसदों के हस्ताक्षर की जरुरत नहीं", पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने दिया बड़ा बयान

Raghav Chadha : राघव चड्ढा विवाद पर पूर्व लोकसभा महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य का कहना है कि "चयन समिति के लिए सहमति साबित करने के लिए किसी भी संसद सदस्य के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है.

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Edited By: Avinash Kumar Singh
"चयन समिति के प्रस्ताव में सांसदों के हस्ताक्षर की जरुरत नहीं", पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने दिया बड़ा बयान

नई दिल्ली: पांच राज्यसभा सांसदों ने आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की मांग की है. इन पांच सांसदों का आरोप है कि दिल्ली सेवा बिल को चयन समिति में भेजने वाले प्रस्ताव में उनके फर्जी हस्ताक्षर शामिल किए गए. आपत्ति जताने वाले पांच सांसदों में बीजेपी के एस फांगनोन कोन्याक, नरहरि अमीन और सुधांशु त्रिवेदी, एआईएडीएमके सांसद एम थंबीदुरई और बीजेडी के सस्मित पात्रा शामिल हैं.

राघव चड्ढा विवाद पर पूर्व लोकसभा महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने बड़ा बयान दिया है. पीडीटी आचार्य का कहना है कि "चयन समिति के लिए सहमति साबित करने के लिए किसी भी संसद सदस्य के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है. हस्ताक्षर नहीं होने से किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े का सवाल ही नहीं उठता.ऐसे में इस मामले में विशेषाधिकार प्रस्ताव विचार करने योग्य नहीं हैं"

पांच सांसदों ने आरोप लगाया कि दिल्ली सेवा विधेयक पर प्रस्तावित चयन समिति में शामिल फर्जी हस्ताक्षर को उनकी सहमति किए बिना जोड़ा गया था. जिसके बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने शिकायतों की जांच का ऐलान किया है. जिसके बाद राघव चड्ढा की सांसदी पर तलवार लटकने लगा है.

राघव चड्ढा ने खुद के खिलाफ लाये जाने वाले विशेषाधिकार प्रस्ताव पर कहा कि चिंता की बात नहीं है.विशेषाधिकार समिति को मुझे नोटिस भेजने दीजिए, मैं अपना जवाब समिति को दूंगा. नोटिस आने दो मैं उसका जवाब दूंगा.सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होती है. हम भले ही इस बिल को संसद में रोकने में सफल न हुए हों, लेकिन हम कोर्ट में लड़ाई लड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ फिर से अरविंद केजरीवाल के पक्ष में फैसला सुनाएगी.

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