किसान आंदोलन को एक नया चेहरा मिल गया है. खनौरी में एक साल से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों में एक युवा और तेजी से उभरता हुआ चेहरा भी है. यह नया नेता इंजीनियर है. इंजीनियर, जो छात्र राजनीति में चले गया और फिर 31 वर्षीय अभिमन्यु कोहाड़ उस किसान प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं जो केंद्र के साथ बातचीत कर रहा है.
अभिमन्यु कोहाड़ उन प्रवक्ताओं में से एक हैं जो हरियाणा के साथ पंजाब की सीमा पर खनौरी विरोध स्थल पर मीडिया को दैनिक ब्रीफिंग देते हैं. कोहर 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान गठित 40 सदस्यीय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) समिति का भी हिस्सा थे. लेकिन अब वह आंदोलन के जाने-माने चेहरों में से एक के रूप में उभरे हैं, जिन्हें अक्सर प्रदर्शनकारी किसानों को सरकार से 23 फसलों के लिए एमएसपी पर राजी करने के महत्व के बारे में समझाते हुए देखा जाता है.
कौन हैं कोहर?
कोहर का दल्लेवाल से जुड़ाव हरियाणा स्थित भारतीय किसान नौजवान यूनियन के जरिए है. हरियाणा के सोनीपत के छिनोली गांव से ताल्लुक रखने वाले कोहर नौजवान यूनियन के अध्यक्ष हैं, जो दल्लेवाल द्वारा स्थापित एसकेएम-गैर-राजनीतिक का एक घटक सदस्य है. कोहर की सीधी-सादी बात करने की शैली और हिंदी और अंग्रेजी में उनकी सहजता ने ही एसकेएम (गैर-राजनीतिक) को अपने आंदोलन के प्रवक्ताओं में से एक के रूप में चुनने के लिए प्रेरित किया.
पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति करे लगे
2016 में दीन बंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मुरथल से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में स्नातक करने वाले कोहर कहते हैं कि उन्हें एक एमएनसी से आकर्षक प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि मैंने किसान बने रहना पसंद किया क्योंकि तब तक मैं एक छात्र संघ नेता के रूप में उभरना शुरू कर चुका था.
किसान आंदोलन से कैसे जुड़े?
कोहर के अनुसार, उन्होंने हरियाणा में किसानों के साथ काम करना 2014 में ही शुरू कर दिया था, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी किया था. तभी मैंने तय किया कि मैं निजी क्षेत्र की नौकरी नहीं करूंगा और इसके बजाय किसानों के अधिकारों के लिए काम करूंगा. 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान वे शिव कुमार कक्का की अगुआई वाले राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की युवा शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. 2022 में भारतीय किसान नौजवान यूनियन के गठन के बाद वे इसके अध्यक्ष बने. कोहर का कहना है कि उनके परिवार ने उन पर नौकरी स्वीकार करने के लिए कोई दबाव नहीं डाला क्योंकि वे स्वयं खेती करते हैं.