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ठेले वाले के खिलाफ नहीं हुआ था पहला केस, खुद गृहमंत्री अमित शाह ने बताई पहली FIR की कहानी

First case Under New Criminal Law: देश भर में नए 3 क्रिमिनल लॉ आज (1 जुलाई) से लागू हो गए हैं, जिसके बाद नए कानून के तहत कुछ मामले भी दर्ज किए गए हैं. इसी को लेकर जब सोमवार को सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया गया कि नए कानून के तहत पहला मामला कौन सा दर्ज हुआ तो उन्होंने सफाई दी कि पहला केस ठेके वाले पर हुआ था किसी और चीज पर. आइये पढ़ते हैं उनका जवाब-

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Amit Shah
Courtesy: IDL

First case Under New Criminal Law: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को देश भर में नए कानून लागू होने के बाद ये बताया कि पहला केस किस मामले में दर्ज किया गया था. अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक न्याय कानूनों के तहत दर्ज पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दर्ज कराया गया है जहां पर आधी रात को लागू होने के करीब 10 मिनट बाद मोटरसाइकिल चोरी हुई थी और उसके तहत केस दर्ज किया गया.

नए कानून के तहत दर्ज हुआ ये पहला केस

अमित शाह ने मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा,'...पहला मामला (नए कानूनों के तहत) ग्वालियर के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. यह चोरी का मामला था, किसी की मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी. मामला रात 12.10 बजे दर्ज किया गया था...जहां तक ​​एक विक्रेता (दिल्ली के एक पुलिस स्टेशन में पंजीकृत) के खिलाफ मामले का सवाल है, इसके लिए पहले भी प्रावधान थे और यह कोई नया प्रावधान नहीं है. पुलिस ने इसकी समीक्षा करने के लिए प्रावधान का इस्तेमाल किया और उस मामले को खारिज कर दिया.' 

अगर एक जुलाई से पहले दर्ज हुआ केस तो पुराने नियम ही होंगे लागू

शाह की सफाई आज से लागू हुए नए कानूनों के तहत दर्ज पहले मामले के बारे में मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में आया. दिल्ली पुलिस ने नए कानूनों के तहत एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया था.

शाह ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'अगर अपराध की तारीख 1 जुलाई 2024 से पहले की है, तो उस पर पुराने कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा, अगर बाद की है, तो उस पर नए कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.' 

कैसे काम करेंगे नए कानून

गौरतलब है कि तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) आज से लागू हो गए हैं. इसके तहत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लाया गया है. इन कानूनों को 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी. 

नए कानूनों के बारे में विस्तार से बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, '...सबसे पहले मैं देश की जनता को बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी हो रही है. यह भारतीय मूल्यों पर काम करेगी. 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया और आज से जब ये कानून लागू हो रहे हैं, तो औपनिवेशिक कानूनों को खत्म कर दिया गया है और भारतीय संसद में बनाए गए कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है. अब दंड की जगह न्याय होगा. देरी की जगह त्वरित सुनवाई और त्वरित न्याय होगा. पहले सिर्फ पुलिस के अधिकार सुरक्षित थे, लेकिन अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकार भी सुरक्षित होंगे.'