नई दिल्ली: राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले RSS प्रमुख मोहन भागवत की बड़ी प्रतिक्रिया सामने आयी है. आक्रमणकारियों के खिलाफ भारत के 1,500 वर्षों के लंबे संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए भागवत ने कहा कि विदेशी ताकतों ने समाज को कमजोर और हतोत्साहित करने के लिए धार्मिक स्थानों के व्यवस्थित विनाश को अंजाम दिया.
मोहन भागवत ने कहा कि प्रारंभिक आक्रमणों का उद्देश्य लूटपाट करना था और कभी-कभी (अलेक्जेंडर के आक्रमण की तरह) उपनिवेशीकरण के लिए होता था, लेकिन इस्लाम के नाम पर पश्चिम के हमलों ने समाज का पूर्ण विनाश और अलगाव ही लाया. उनका उद्देश्य भारतीय समाज को हतोत्साहित करना था ताकि वे कमजोर समाज के साथ भारत पर निर्बाध शासन कर सकें. भागवत ने कहा कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का विध्वंस भी इसी मंशा से इसी उद्देश्य से किया गया था.आक्रमणकारियों की यह नीति सिर्फ अयोध्या या किसी एक मंदिर तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक युद्ध रणनीति थी.
मोहन भागवत ने 1857 के असफल स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने के ब्रिटिश प्रयासों का उल्लेख करते हुए आजादी के बाद की लंबी कानूनी लड़ाई और 1980 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन पर भी चर्चा की, जिसके कारण 2019 में हिंदू पक्ष के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. भागवत ने भगवान राम के गुणों को अपनाने वाले समाज की कल्पना करते हुए एकता और सामाजिक पुनर्निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया.
मराठी में प्रकाशित एक लेख में भागवत ने लिखा "श्री राम बहुसंख्यक समाज के सबसे पूज्य देवता हैं और श्री रामचन्द्र का जीवन आज भी संपूर्ण समाज द्वारा आचरण के आदर्श के रूप में स्वीकार किया जाता है. इसलिए, अब इस विवाद को लेकर पक्ष और विपक्ष में जो टकराव पैदा हुआ है, उसे खत्म किया जाना चाहिए. इस बीच जो कड़वाहट पैदा हुई है वह भी खत्म होनी चाहिए. समाज के प्रबुद्ध लोगों को यह देखना होगा कि विवाद पूरी तरह खत्म हो. अयोध्या का अर्थ है एक ऐसा शहर जहां कोई युद्ध न हो, संघर्ष से मुक्त स्थान. इस अवसर पर पूरे देश में हमारे मन में अयोध्या का पुनर्निर्माण समय की मांग भी है और हम सभी का कर्तव्य भी है."
अयोध्या में बने रहे भव्य राम मंदिर का जिक्र करते हुए बीते दिनों मोहन भागवत ने कहा था कि अयोध्या में गुलामी का प्रतीक ढहाया गया लेकिन वहां किसी भी अन्य मस्जिद को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया. कार सेवकों ने कहीं दंगा नहीं किया. मंदिर बनना खुशी की बात है, लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है और यह ध्यान रखना होगा कि जिस संघर्ष के कारण यह सपना पूरा हो रहा है वह संघर्ष भविष्य में भी जारी रहना चाहिए, ताकि मंजिल मिल जाये.