Teachers Day 2024: कर्नाटक शिक्षा विभाग ने बीजी रामकृष्ण के लिए घोषित सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल पुरस्कार को रोक दिया है. बीजी रामकृष्ण 2021-22 में हिजाब पहनने वाली छात्राओं को कक्षा के बाहर धूप में खड़े रहने के लिए कहने के कारण आलोचनाओं के घेरे में थे. कहा जा रहा है कि मामले के बाद प्रिंसिपल की जमकर आलोचन की गई थी और उनके फैसले पर सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स गंभीर चिंता जताई थी. दावा किया जा रहा है कि इसी को देखते हुए उन्हें अवॉर्ड देने के फैसले पर रोक लगाई गई है.
हालांकि, उडुपी के कुंदापुर में सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल रामकृष्ण ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि पुरस्कार वापस नहीं लिया गया है. वहीं, शिक्षा विभाग ने कहा कि तकनीकी समस्याओं के कारण इसमें 'देरी' हो सकती है, लेकिन शिक्षा विभाग ने देरी का सटीक कारण नहीं बताया है.
शिक्षा विभाग ने मंगलवार को शिक्षक दिवस के मौके पर दो प्रिंसिपल (कुंदापुर के रामकृष्ण और मैसूर जिले के हुनसुर पीयू कॉलेज के प्राचार्य ए रामे गौड़ा) को राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार देने की घोषणा की थी. उडुपी में पीयू डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने दावा किया कि उन्हें पुरस्कार को लेकर किसी विवाद की कोई जानकारी नहीं है.
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने कुंदापुर प्रिंसिपल के चयन पर कड़ी आपत्ति जताई है और उन्हें हिजाब विवाद से जोड़ा है. विवाद के मद्देनजर, रामकृष्ण ने गुमनाम नंबरों से नफरत भरे संदेश मिलने का दावा किया था.
दिसंबर 2021 में उडुपी के एक सरकारी पीयू कॉलेज में हिजाब विवाद सामने आया और बाद में पूरे राज्य में फैल गया था. फरवरी 2022 में विवाद और बढ़ गया था. कुंदापुर पीयू कॉलेज में कम से कम 28 छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया.
एसडीपीआई दक्षिण कन्नड़ के अध्यक्ष अनवर सदाथ बाजथुर ने चिंता व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' का सहारा लिया. उन्होंने लिखा कि जिस प्रिंसिपल ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण महीनों तक धूप में बाहर खड़ा रखा, उसे प्रिंसिपल होने का नैतिक अधिकार नहीं है. कांग्रेस सरकार ने उन्हें राज्य पुरस्कार के लिए क्यों नॉमिनेट किया है?