Delhi Assembly Elections Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को हराकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवा ने जोरदार जीत हासिल की. जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में सिसौदिया को तरविंदर सिंह मारवा से 675 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. यह जीत ना केवल भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, बल्कि यह भी दिखाता है कि बीजेपी ने दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर काम करके AAP को कड़ी चुनौती दी. तो आइए जानते हैं कि आखिरकार कौन हैं तरविंदर सिंह मारवा और उनकी राजनीति में यह सफलता कैसे मिली.
तरविंदर सिंह मारवा का राजनीतिक सफर
मनीष सिसौदिया के खिलाफ मुकाबला
मनीष सिसौदिया, जो कि दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री रहे हैं, जंगपुरा सीट से इस चुनाव में उतरे थे. उनके खिलाफ तरविंदर सिंह मारवा का मुकाबला बहुत ही कड़ा था, और इस बार भाजपा ने सिसौदिया के गढ़ में सेंधमारी की. सिसौदिया ने खुद हार स्वीकार करते हुए कहा था कि वह 600 वोटों से हार रहे हैं और उन्होंने जीतने वाले उम्मीदवार को शुभकामनाएं दीं.
मारवा ने अपनी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का धन्यवाद करते हुए कहा कि मनीष सिसौदिया ने उन्हें एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी माना था और इसीलिए वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं थे.
तरविंदर सिंह मारवा की रणनीति
मारवा की जीत का श्रेय उनकी रणनीतिक सोच और मेहनत को जाता है. उन्होंने अपने प्रचार में मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों को उठाया और लोगों के बीच यह संदेश दिया कि दिल्ली के विकास के लिए भाजपा सबसे उपयुक्त पार्टी है. मनीष सिसौदिया की हार के बाद, मारवा ने यह भी कहा कि सिसौदिया ने माना था कि उन्हें इस चुनाव में अटिशी और अरविंद केजरीवाल की मदद की जरूरत थी क्योंकि उन्हें मारवा को एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी माना गया था.
मारवा ने भाजपा के संगठनात्मक ताकत का भरपूर लाभ उठाया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और दिल्ली भाजपा के कार्यकर्ताओं का समर्पण प्रमुख था. यह उनकी मेहनत और नेतृत्व कौशल का परिणाम था कि उन्होंने सिसौदिया को हराने में सफलता पाई.
भाजपा की मजबूत स्थिति
दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों में भाजपा ने 70 में से 48 सीटों पर बढ़त बनाई, जबकि आम आदमी पार्टी केवल 22 सीटों पर ही आगे रही. कांग्रेस को एक भी सीट पर बढ़त नहीं मिली, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भाजपा ने दिल्ली में एक मजबूत और प्रभावी जीत हासिल की.
तरविंदर सिंह मारवा की जीत को एक बड़ा धक्का माना जा सकता है, खासकर तब जब दिल्ली में AAP का दबदबा रहा है. मारवा की यह सफलता भाजपा के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति को और मजबूत कर सकती है.