आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में भाषा को लेकर चल रही बहस के बीच एक सुलझा हुआ रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि हिंदी और अंग्रेजी दोनों की अपनी-अपनी उपयोगिता है और इन्हें सीखना चाहिए. नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम है और जितनी अधिक भाषाएं सीखी जाएं, उतना बेहतर है.
उन्होंने कहा, "हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है, वहीं अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा है." उनका मानना है कि आज के समय में भारतीय लोग दुनिया के अलग-अलग देशों में जा रहे हैं और वहां की जरूरतों के हिसाब से भाषाएं सीखना महत्वपूर्ण हो गया है. नायडू ने आगे कहा, "जीविका के लिए हम कितनी भी भाषाएं सीख सकते हैं, लेकिन अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए."
दिल्ली में बातचीत के लिए हिंदी सीखना जरूरी
चंद्रबाबू नायडू का यह बयान दिल्ली जैसे शहर में खास मायने रखता है, जहां विभिन्न क्षेत्रों से आए लोग आपस में संवाद के लिए हिंदी को एक सेतु के रूप में इस्तेमाल करते हैं. उनका यह संदेश न केवल भाषाई विवादों को शांत करने की कोशिश है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भाषाएं हमें जोड़ने का काम करती हैं, न कि बांटने का. उन्होंने लोगों से अपील की कि अधिक से अधिक भाषाएं सीखें, लेकिन अपनी जड़ों को हमेशा याद रखें.
10 भाषाओं को बढ़ावा देने जा रहा हूं
नायडू ने कहा, 'मैं हर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय भाषाओं सहित 10 भाषाओं को बढ़ावा देने जा रहा हूं, छात्र वहां जाकर पढ़ाई कर सकते हैं और काम कर सकते हैं। उन्हें आपकी सेवाओं की जरूरत है। केवल तीन भाषाओं को ही नहीं, मैं बहु-भाषाओं को बढ़ावा दूंगा। हमें तेलुगु को बढ़ावा देना था। हमें अंग्रेजी को भी बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि यह आजीविका के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। हिंदी सीखना बेहतर है ताकि हम लोगों के साथ आसानी से घुल-मिल सकें।'