आप की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है. उनके पत्र में उन्होंने केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. स्वाति मालीवाल ने लिखा है कि मैं यह पत्र इस ओर ध्यान दिलाने के लिए लिख रही हूं कि जनवरी 2024 में अध्यक्ष पद से मेरे इस्तीफे के बाद से दिल्ली सरकार डीसीडब्ल्यू को कैसे व्यवस्थित रूप से खत्म कर रही है. यह बेहद अफसोस की बात है कि 2015 से मैंने जो सिस्टम बड़ी मेहनत से बनाए थे, उन्हें सरकार द्वारा नष्ट किया जा रहा है.
स्वाति मालीवाल ने लिखा कि जबसे मैंने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, तबसे दिल्ली सरकार के मंत्रियों और अफ़सरों ने आयोग के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. पिछले 6 महीने से किसी को सैलरी नहीं दी गई है, बजट 28.5 प्रतिशत कम कर दिया है, 181 हेल्पलाइन वापिस ले ली गई है और अध्यक्ष और 2 मेम्बर की पोस्ट भरने के लिए कोई कार्य नहीं किया गया है. दलित मेम्बर की पोस्ट 1.5 साल से ख़ाली पड़ी है! मेरे जाते ही हर संभव कोशिश की जा रही है महिला आयोग को फिर से एक कमज़ोर संस्थान बनाने की. महिलाओं से दिल्ली सरकार क्यों दुश्मनी निकाल रही है?
स्वाति मालीवाल ने अपने लेकर में 181 हेल्पलाइन नंबर का भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि इस हेल्पलाइन के जरिए महिलाओं की दिन रात मदद के लिए हमारी टीमें तैयार रहती थी यहां तक कि त्योहारों और पब्लिक हॉलीडे के दिन भी 181 पर मदद जारी रहता था. अब इसे बंद कर दिया गया है. सोमवार को 181 हेल्पलाइन बंद करने के संबंध में दिल्ली सरकार ने जानकारी दी थी. दिल्ली महिला आयोग के हेल्पलाइन नंबर 181 बंद कर दिया गया है.
AAP Rajya Sabha MP and former Delhi Commission for Women (DCW) chief Swati Maliwal writes to Delhi CM Arvind Kejriwal.
— ANI (@ANI) July 2, 2024
Her letter reads, "I am writing this letter to bring attention to how the Delhi Government has been systematically dismantling the DCW since my resignation from… pic.twitter.com/cMFUfLeBbe
दरअसल, सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल के सहयोगी विभव कुमार की याचिका को सुनवाई योग्य मान लिया है, जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने याचिका पर संज्ञान लिया है और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इससे पहले कोर्ट ने 31 मई को आदेश सुरक्षित रखा था.