वक्फ संशोधन विधेयक: जिस बिल के विरोध में जल उठा बंगाल, उस पर कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर चल रहा यह विवाद धार्मिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस कानून के भविष्य और वक्फ प्रबंधन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है.

सुप्रीम कोर्ट बुधवार, 16 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. यह सुनवाई दोपहर 2 बजे शुरू होगी और केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित इस कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार किया जाएगा.
सुनवाई का विवरण
सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में कहा, "मुख्य न्यायाधीश, माननीय जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ 16.04.2025 (बुधवार) को दोपहर 2:00 बजे मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में बैठेगी और यह पीठ दोपहर 3:25 बजे तक कार्य करेगी. सभी वक्फ मामले दोपहर 2:00 बजे इस पीठ द्वारा लिए जाएंगे, जिसमें आइटम नंबर 13, यानी W.P(C)No. 269/2025 आदि शामिल हैं, जो पहले से ही 16.04.2025 (बुधवार) की मुख्य कारण सूची में अधिसूचित हैं." मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ इन याचिकाओं की सुनवाई करेगी.
ओवैसी समेत कई विपक्षी नेताओं ने दी थी चुनौती
इस मामले में कई राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने याचिका दायर की है. AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, आप नेता अमानतुल्लाह खान, समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, वाईएसआरसीपी नेता जगन मोहन रेड्डी, अभिनेता-नेता विजय, और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद जैसे प्रमुख याचिकाकर्ता शामिल हैं. इसके अलावा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद और डीएमके ने भी इस कानून को चुनौती दी है.
विधेयक का पारित होना
केंद्र सरकार ने 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अधिसूचित किया. संसद में तीखी बहस के बाद यह विधेयक राज्यसभा में 128 के मुकाबले 95 वोटों से और लोकसभा में 288 के मुकाबले 232 वोटों से पारित हुआ था. यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने का दावा करता है, लेकिन पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना जिलों में इसके खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन देखे गए.
याचिकाओं का आधार
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. अधिवक्ता हरि शंकर जैन और मनी मुंजाल ने भी कानून की कई धाराओं को गैर-मुस्लिमों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए चुनौती दी है. मुख्य न्यायाधीश ने उनकी याचिका को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आश्वासन दिया है.