क्यों सुप्रीम कोर्ट की निगाहों में चढ़ा पतंजलि, फटकारते हुए जारी किया नोटिस
Supreme Court Strict on Misleading Advertisements: सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किया है.
Supreme Court Strict on Misleading Advertisements: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव के अधिकार वाली पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अपने प्रोडक्ट्स के भ्रामक विज्ञापनों (Misleading Advertisements) के खिलाफ उनके आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने पंतजलि को अगले आदेश तक अपने मेडिकल उत्पादों का विज्ञापन बंद करने का भी आदेश किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 'एलोपैथी के खिलाफ गलत सूचना' के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि समूह की खिंचाई की है. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर हुई है याचिका
आईएमए की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया ने कोर्ट के सामने कहा कि पतंजलि ने योग की मदद से मधुमेह और अस्थमा को 'पूरी तरह से ठीक' करने का दावा किया था. इसके अलावा पिछले साल नवंबर में आईएमए की ओर से एक और याचिका दायर की गई थी, इसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि की ओर से कोविड-19 टीकाकरण के खिलाफ भी एक अभियान शुरू किया गया था. इस मामले में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने केंद्र से परामर्श करने और आगे आने के लिए कहा था. साथ ही भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए कुछ सिफारिशें भी की थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस मामले को बताया था गंभीर
उस दौरान पीठ ने मामले को फरवरी के लिए पोस्ट करने से पहले कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद के सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा. यह कोर्ट ऐसे उल्लंघनों को बेहद गंभीरता से लेगी और प्रत्येक प्रोडक्ट पर 1 करोड़ रुपये तक की लागत लगाने पर विचार करेगी, जिसके बारे में गलत दावा किया गया है कि यह एक विशेष बीमारी को ठीक कर सकता है.
बाबा रामदेव के खिलाफ दर्ज हुआ केस
कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक दवाओं के उपयोग के खिलाफ अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दर्ज किए गए विभिन्न आपराधिक मामलों का सामना करते हुए, रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था, जिसने 9 अक्टूबर को मामलों को रद्द करने की उनकी याचिका पर केंद्र और एसोसिएशन को नोटिस जारी किया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाबा रामदेव पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188, 269, 504 के तहत केस दर्ज किया गया है. आईएमए की शिकायत के अनुसार रामदेव कथित तौर पर मेडिकल बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैला रहे है. कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 मार्च को तय की है.